दरअसल छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां की आबादी खेती किसानी पर निर्भर रहती है. खेती किसानी की शुरुआत के साथ हरेली तिहार मानने की परंपरा है.
हरेली मनाया क्यों जाता है :- हरेली आपने नाम तो सुना होगा. किसानो का यह अपना त्यौहार है जिसे वह अपने खेती इस्तेमाल में लायी जाने वाली हल, बैल, और तरह तरह के औजार जो खेती-बाड़ी में काम आते हैं उनकी पूजा करते हैं.
बता दे की इस त्योहार में बड़ी संख्या में ग्रामीण हिस्सा लेंगे. इसके लिए गौठानों में गेड़ी दौड़, कुर्सी दौड़, फुगड़ी, रस्साकशी, भौंरा, नारियल फेंक जैसे प्रतियोगिताएं कराई जाती है . इसके अलावा छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी स्पर्धा होती है. इसमें छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यंजन जैसे चीला, बड़ा, सोहारी, गुलगुला भजिया बनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ में पारंपरिक हरेली तिहार त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी हरेली त्योहार के दिन कई तरह के आयोजन होंगे. राज्य के गौठनों को सजाया जाएगा. हरेली के दिन गौठानों में छत्तीसगढ़ी खेल गेड़ी दौड़, फुगड़ी ,भौंरा और रस्साकशी का आयोजन किया जाएगा. साथ ही गौठानों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन की भी पूरी व्यवस्था होगी.