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महाविद्यालय में स्वर्ण जयंती के अवसर पर मनाया गया,एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्य तिथि…

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राजिम।आजादी का अमृत महोत्सव व महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में महाविद्यालय ने ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की पुण्य तिथि मनाई गई | महाविद्यालय की संस्था प्रमुख डॉ. सोनिता सत्संगी ने बताया कि भारत के महान वैज्ञानिक ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी ने विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में अतुलनीय व अविस्मरणीय योगदान दिया।अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका रहीं।उनके इस रेखांकनीय कार्यों के कारण अब्दुल कलाम जी को मिसाइल मैन के नाम से जाना गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो को सशक्त और भारत को परमाणु शक्ति बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रही थी। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
नैक प्रभारी डॉ. गोवर्धन यदु ने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम जी सादगी और सत्यनिष्ठा व अद्वितीय प्रतिभा के धनी व्यक्तिव के थे। वे काम में इतना व्यस्त रहते थे कि वे सुबह जल्दी उठते और आधी रात तक काम करते रहते थे। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है। अब्दुल कलाम जी का जन्म 15 अक्तूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। अब्दुल कलाम जी ने भारत की तकनीकी शिक्षा को नया आयाम दिया । वे लोगों के बीच अपने सादगी और अनुशासन के लिए पहचाने जाते थे। कलाम जी के काम के प्रति समर्पण और राष्ट्रवादी सोच के लिए हमेशा देश के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे। जब तक मानव समाज रहेगा वे सभी के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे |
प्रो. एम. एल. वर्मा सहायक प्राध्यापक वाणिज्य ने कहा कि कम उम्र से ही उन्होंने अपने परिवार का आर्थिक सहयोग देना शुरू कर दिया था।लेकिन उन्होंने कभी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी।अपने परिवार का संबल देने के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और स्नातक की पढ़ाई पूरी की। महान मिसाइल मैन 2002 में भारत के राष्ट्रपति बने। वे राष्ट्रपति के पद में रहते हुए सेना और देश के लिए कई कीर्तिमान रचे। उन्होंने पुरे मनोबल व दृढ़संकल्पता से देश की सेवा की। अपने कार्यकाल के अंत में राष्ट्रपति कार्यालय छोड़ने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने फिर से छात्रों को पढ़ाना शुरू कर किया था। उन्होंने देश भर में स्थित भारत के कई प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए काम किया। उन्होंने अपने एक सन्देश में कहा था कि उनके अनुसार देश के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए अवसर चाहिए।
इस कार्यक्रम में गोपाल राव उरकुरकर, डॉ. समीक्षा चंद्राकर, आकाश बाघमारे, भानुप्रताप नायक, मुकेश कुर्रे, डॉ. देवेंद्र देवांगन, आलोक हिरवानी, नेहा सेन, श्वेता खरे व अन्य प्राध्यापकगण तथा राजू, हुमन, दिलीप, तेज व अन्य विद्यार्थीगण उपस्थित थे |

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