नागपंचमी के रूप में नागों की पूजा प्रकृति और जीव-जंतु मात्र की पूजा का प्रतीक है. नागपंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है. इस समय वर्षा शुरू होते ही कृषि प्रधान भारत में कृषक खेतों की ओर जाते हैं तथा बिलों में पानी भरने के कारण सर्प बाहर आ जाते हैं, भय में कोई इन सर्पों की हत्या न कर दे, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विधान माना गया है. सांप सिर्फ भक्षक ही नहीं कीट-पतंगों और चूहों से फसलों की रक्षा भी करते आए हैं और किसानों के मित्र भी हैं. भारत में नागपंचमी पर नाग की पूजा कहीं साकार, कहीं, मूर्ति तो कहीं गोबर-घी आदि से बनी आकृति-भित्ती चित्रों के रूप में की जाती है.