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शासकीय राजीव लोचन महाविद्यालय में बाल गंगाधर तिलक की पुण्य तिथि मनाई गई

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राजिम।नगर के प्रतिष्ठित शासकीय राजीव लोचन स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजिम के स्वर्ण जयंती वर्ष और आजादी के अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में नैक व इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बाल गंगाधर तिलक जी की पुण्यतिथि मनाई गई | कार्यक्रम के प्रारंभ में बाल गंगाधर तिलक जी की छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। एनएसएस एनसीसी के छात्रों द्वारा तिलक जी का जयघोष किया गया। संस्था प्रमुख डॉ. सोनिता सत्संगी ने बाल गंगाधर तिलक जी को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के जनक की संज्ञा दी और कहा कि तिलक जी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रथम प्रखर व सशक्त आंदोलनकारी थे | भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के पहले लीडर गंगाधर जी ही रहे थे | तिलक जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ-साथ एक शिक्षक, वकील, सामाजिक कार्यकर्त्ता, स्वतंत्रता सेनानी,राष्ट्रीय नेता के रूप में विख्यात थे | इतिहास,संस्कृत,खगोल शास्त्र एवं गणित में उन्हें महारथ हासिल था | बाल गंगाधर तिलक जी को लोग प्यार से ‘लोकमान्य’ कहकर पुकारते थे |
नैक प्रभारी डॉ. गोवर्धन यदु ने कहा कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जी ने भारतीयो मे राष्ट्रप्रेम,राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया। तिलक जी स्वराज्य प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्पित थे *स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर ही रहेंगें* उद्बोधन से भारतीयों मे राष्ट्रीयता की भावना और प्रबल हुई | उन्होंने शिवाजी महोत्सव और गणपति महोत्सव के माध्यम से देशवासियो मे राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल किया |भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उन्होंने कांग्रेस को सशक्त व समृद्ध बनाने हेतु उदारवादी प्रवृत्ति की आलोचना की थी । भारत की राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए युवाओं के प्रेरणा स्रोत तिलक जी थे। उन्होंने देशवासियों के मन मे राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |

इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक आकाश बाघमारे ने कहा की लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी का जन्म 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरी,महाराष्ट्र में हुआ था। तिलक जी का जन्म चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था, इनके पिता गंगाधर तिलक संस्कृत के टीचर थे | तिलक जी को बचपन से ही पढाई में रूचि थी,वे गणित में बहुत अच्छे थे | तिलक जी जब 10 साल के थे, तब उनके पिता रत्नागिरी से पुणे आ गए थे,यहाँ उन्होंने एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल ज्वाइन किया और शिक्षा प्राप्त की | मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद, तिलक जी ने डेक्कन कॉलेज में दाखिला ले लिया, जहाँ से उन्होंने 1977 में बीए की डिग्री फर्स्ट क्लास में पास की | भारत के इतिहास में तिलक उस पीढ़ी से थे,जिन्होंने मॉडर्न शिक्षा की शुरुआत की और कॉलेज की शिक्षा ग्रहण की थी।इसके बाद भी तिलक ने पढाई जारी रखी और एल.एल.बी की डिग्री हासिल की | ग्रेजुएशन करने के बाद, तिलक पुणे के एक प्राइवेट स्कूल में गणित के टीचर बन गए | इसके कुछ समय बाद स्कूल छोडकर वे पत्रकार बन गए | इस समय बाल गंगाधर जी देश में चल रही गतिविधियों से बहुत आहात थे, वे इसके लिए सशक्त रूप से आवाज उठाना चाहते थे ।

सहायक प्राध्यापक देवेंद्र देवांगन ने कहा की तिलक जी पश्चिमी शिक्षा पद्धति के बड़े आलोचक थे, उनका मानना था कि इसके द्वारा भारतीय विद्यार्थियों को नीचा दिखाया जाता है, और भारतीय संस्कृति को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है।कुछ सोच विचार के बाद वे इसी नतीजे में पहुंचें की, एक अच्छा नागरिक तभी बना जा सकता है, जब उसे अच्छी शिक्षा मिले | भारत में शिक्षा को सुधारने के लिए उन्होंने अपने मित्र के साथ मिलकर डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की। उन्होंने समाचार पत्रों का भी शुभारंभ किया जिसमें केसरी सबसे महत्वपूर्ण पत्रिका थी जिसके माध्यम से उन्होंने भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल किया। इस प्रकार उनके इस अविस्मरणीय योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
इस कार्यक्रम में प्रो. एम. एल.वर्मा, डॉ. समीक्षा चंद्राकर, क्षमा शिल्पा मसीह, राजेश बघेल, भानु प्रताप नायक, मुकेश कुर्रे, डॉ. देवेंद्र देवांगन, आलोक हिरवानी, नेहा सेन, श्वेता खरे व अन्य प्राध्यापकगण तथा डी. के. ध्रुवा, के. वी. यदु तथा महिमा, हुमन, दिलीप, तेज व अन्य विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

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