इस बार रक्षाबंधन के पावन पर्व पर भद्रा का संकट गहराया हुआ है और भद्रा के समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य का निषेध है। इस कारण जनमानस में यह दुविधा है कि आखिर इस बार रक्षाबंधन पर्व किस समय मनाया जाए ताकि किसी भी प्रकार का कोई अनिष्ट ना हो। रक्षाबंधन भाई और बहन के प्यार का पावन पर्व है। इस पर्व पर सभी बहनें आप ने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके दीर्घायु, सुखमय जीवन की कामना करती हैं। लेकिन भद्रा होने के कारण सभी बहनों के मन में चिंता है कि आखिर अपने भाइयों को राखी किस समय बांधे।
इसके लिए दैनिक छत्तीसगढ़ के रिपोर्टर नितेश निषाद ने प्रयाग नगरी राजिम के पंडित आचार्य विकास मिश्रा से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। पंडित विकास मिश्रा ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन के पावन पर्व पर भद्रा का वास है। भद्रा जो सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन हैं। भद्रा विचार के अनुसार जब किसी तिथि को भद्रा हो तो शुभ कार्यों को नहीं किया जाना चाहिए। इस बार पूर्णिमा तिथि 11 तारीख को प्रातः 10:38 से प्रारंभ हो रहा है जो कि अगली तारीख 12 को सुबह 7:05 तक है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन पर्व मनाने का विधान है लेकिन इस दिन 11 तारीख को 10:38 मिनट से ही भद्रा प्रारंभ हो रही है जो रात 8:52 तक रहेगा। इस समय राखी बांधना शुभ नहीं होगा। बहने अपने भाइयों की कलाइयों पर रात्रि 8:53 से राखी बांधना प्रारंभ कर सकती हैं। पूर्णिमा तिथि 12 तारीख को सुबह 7:05 पर समाप्त हो जाएगी और प्रथमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी। अतः बहनों के पास यही विकल्प है कि 11 तारीख को रात्रि 8:53 से ही भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधे जो अत्यंत ही शुभ होगा। 12 तारीख को राखी बांधने के लिए बहुत ही अल्प समय है। अतः 11 तारीख को ही रक्षाबंधन पर्व मनाना श्रेयस्कर होगा।