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आज बीजेपी में हो सकता है नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान, बैठक में डी पूंदेश्वरी होंगे शामिल…

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छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष बदले जाने के कवायद के बीच आज विधायक दल की बैठक है । माना जा रहा है कि आज ही नारायण चंदेल के नाम की घोषणा पार्टी कर देगी । ओबीसी वर्ग और बिलासपुर संभाग से आने वाले नारायण चंदेल को पार्टी आज नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देगी । ऐसे में माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में अभी से लग चुकी है । वैसे तो चुनाव को अभी 15 महीने का वक्त बचा है, लेकिन पार्टी के आला नेता अभी से चुनाव में विजय पाने तैयारी में लग चुके हैं । एक तरफ छत्तीसगढ़ में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को बदला गया तो, वहीं दूसरी तरफ अब नेता प्रतिपक्ष को बदलने की भी चर्चा अंतिम दौर में हैं । बीजेपी कार्यालय में विधायक दल की बैठक रखी गई है । इस बैठक में प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी, सह प्रभारी नितिन नबी के साथ अजय जामवाल भी मौजूद रहेंगे । तय कार्यक्रम के अनुसार पुरंदेश्वरी सीधे हैदराबाद से उड़ान भरकर सुबह 8:30 बजे रायपुर एयरपोर्ट पहुचेंगी । आपको बताते चले कि आज होने वाली बैठक में बीजेपी के सभी विधायक मौजूद रहेंगे ।

वैसे नए नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कई नाम है, जिनको लगता है कि इस बार उनको यह मौका मिल सकता है । वैसे इस लिस्ट में सबसे बड़ा और पहला नाम जांजगीर से विधायक नारायण चंदेल का है ।

बिलासपुर संभाग को प्राथमिकता

विधानसभा सीटों के हिसाब से भी बिलासपुर संभाग की 24 सीटें है। ऐसे में पार्टी के नेता बिलासपुर संभाग को ज्यादा तरजीह देना चाहते हैं । राजनीति के जानकारों का मानना है कि बिलासपुर की 24 सीटों के साथ साहू और कुर्मी वोट को साधने की तैयारी में बीजेपी है । इसलिए पहले विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी अरुण सांव को दी गई और अब नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नारायण चंदेल को देकर कुर्मी वोटों को साधने की जुगत में हैं । वैसे बिलासपुर संभाग में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें आती हैं, ऐसे में यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है ।

तीन सत्र और फिर विधानसभा के चुनाव

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा का तीन सत्र होगा। इसमें पांच से सात दिन का शीतकालीन सत्र, करीब एक महीने का बजट सत्र और तीन से पांच दिन का मानसून सत्र होगा। ऐसे में अगर किसी नए विधायक को नेता प्रतिपक्ष चुना भी जाता है, तो सिर्फ डेढ़ महीने ही सदन की कार्यवाही चलेगी। भाजपा के आला पदाधिकारियों की मानें तो धरमलाल कौशिक (प्रदेश अध्यक्ष रहते) के नेतृत्व में भले ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया, लेकिन यह हार सिर्फ कौशिक के खाते में नहीं जाती है। रमन सरकार के नौ मंत्री चुनाव हार गए।

जातिगत क्या है समीकरण?

छत्तीसगढ़ में 32 फ़ीसदी आदिवासी आबादी है और 13 फ़ीसदी अनुसूचित जाति । इसी तरह राज्य में 47 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी है । ओबीसी वर्ग में कुल 95 जातियां आती है । वैसे सबसे ज्यादा ओबीसी वोट साहू समाज का है । लगभग 14 फीसदी साहू समाज, फिर कुर्मी और यादव समाज भी नंबर आता है । ऐसे में बीजेपी अरुण सांव और नारायण चंदेल के जरिये साहू और कुर्मी समाज के वोटों को साधना चाहती है ।

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