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हिरणों का संरक्षण जरूरी, पर्यटन की दृष्टी से गरियाबंद को विकसित करने की है जरुरत…

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गरियाबंद । जिले के गरियाबंद वन मंडल अंतर्गत फिंगेश्वर वन परिक्षेत्र के जंगलों में बड़ी संख्या में वन्य प्राणी हिरण पाए जाते हैं, कई बार हिरणों के झुंड सड़क मार्ग और पास के जंगल, नर्सरी में आसानी से देखे जा सकते हैं। इनकी चहलकदमी को देख लोग रोमांच से भर उठते हैं, लेकिन इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभाग ने अब तक एक भी योजना तैयार नहीं की है। हालाकि, लगातार यहां के जंगलों में हिरणों की संख्या में साल दर साल इजाफा हुआ है, वन विभाग ने भी दावा किया है कि इनकी संख्या में वृद्धि हुई है।विभाग से मिले अनुमानित आंकड़े के मुताबिक इनकी संख्या करीब 1000 है। जिसमें से बासीन क्षेत्र में 400, जामगांव के जंगल में 600 हिरण है। वन विभाग के जानकारों का कहना है कि वन क्षेत्रों की अनुकूलता के कारण वन्य प्राणी हिरण का बसेरा है। मैदानी वन क्षेत्रों में हिरण अक्सर विचरण करते हैं, तर्जुगा, करचाली, सौरिद, बम्हनदेही, कोसमखुटा सहित इसके आसपास के अनेक गांव में राह चलते इनका झुंड दिख जाता है।

इनकी सुरक्षा के लिए अलग से कर्मचारी भी तैनात नहीं है। क्षेत्र में हिरण की शिकार की घटना सुनने को मिलते रहती है। जानकारी के मुताबिक सन 2015 में तालाब में यूरिया डालकर 5 हिरणों को शिकारियों ने अपना शिकार बनाया था इस मामले में चार ग्रामीण जेल भी गए थे। इसके बाद भी कई बार शिकार की खबरें आती रहती हैं।
फिंगेश्वर रेंज में हिरणों के संरक्षण से बढ़ सकता है पर्यटन, आय भी बढ़ेगी
वन्य प्राणियों को बचाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। यह राजधानी के सबसे नजदीक का क्षेत्र है। इसलिए हिरण पार्क बनाया जा सकता है, जिससे पर्यटन आसानी से पहुंच सके। प्रसिद्ध जतमाई, घटारानी मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं, टूरिज्म के दृष्टिकोण से हिरण पार्क विकसित करने से पर्यटन की और संभावनाएं बढ़ जाएंगी। वन परिक्षेत्र अधिकारी का कहना है कि वन क्षेत्र वन्य प्राणी हिरण के लिए अनुकूल है, जिसके कारण वर्षों से जंगल में वन्य प्राणी हिरण का बसेरा है, इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। योजना बनाई जानी चाहिए।

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