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इस सदी के सबसे खतरनाक साइको किलर, इनके बारे में जानेंगे, तो आपकी रूह काँप उठेगी…

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चंद्रकांत झा पर बनी नेटफ्लिक्स की चर्चित डॉक्युसीरीज ‘द इंडियन प्रिडेटर’ हो या हाल ही में मध्य प्रदेश में चार सोते हुए सिक्योरिटी गार्ड्स की हत्या…इन बातों ने सीरियल किलर्स और साइकोपैथ्स को चर्चा में ला दिया है।

’दिल्ली का कसाई’ के नाम से जाना जाने वाला चंद्रकांत झा या ऊपर दिए नाम कुछ चर्चित सीरियल किलर्स के हैं। ये सभी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई या ऐसे ही बड़े शहरों के हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सदी में अब तक सबसे ज्यादा सीरियल किलर्स कहां सबसे ज्यादा सक्रिय रहे हैं? जवाब आपको चौंका देगा…सबसे ज्यादा सीरियल किलिंग्स छत्तीसगढ़ में हुई हैं।

ट्राइबल बहुल आबादी वाले छोटे से छत्तीसगढ़ में साल 2000 से 2021 के बीच सीरियल किलर्स या साइकोपैथ्स ने 175 लोगों की हत्या की है। इसके बाद गुजरात का नंबर आता है। मगर सीरियल किलिंग्स में तीसरे नंबर पर आने वाले मध्य प्रदेश की एक बात सबसे खास है। इन 22 सालों में एक भी साल ऐसा नहीं था जब इस राज्य में कोई सीरियल किलर या साइकोपैथ न पकड़ा गया हो। सीरियल किलर्स के लिए सबसे ज्यादा चर्चित रहने वाला महाराष्ट्र इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2021 में 13 सीरियल किलिंग्स हुईं। ऐसी हत्याओं का यह आंकड़ा 22 सालों में सबसे कम है। मगर इन 13 सीरियल किलिंग्स में भी मध्य प्रदेश सबसे ऊपर है और छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर। समझिए, क्यों शांत माने जाने वाले इन राज्यों में सीरियल किलिंग्स ज्यादा होती हैं? कैसे देश में सीरियल किलर्स और साइकोपैथ्स बढ़े या घटे हैं…और जानिए, कुछ चर्चित भारतीय सीरियल किलर्स की कहानी…


2017 से NCRB ने दिया साइकोपैथ्स और सीरियल किलर्स का कॉलम, इससे पहले सारे मामले LUNACY में दर्ज होते थे

NCRB 1953 से हर साल देशभर में होने वाले अपराधों का पूरा लेखा-जोखा पब्लिश करता है।
इस रिपोर्ट में देश में हुई कुल हत्याओं को उनके MOTIVE के आधार पर भी बांटा जाता है, यानी हत्या क्यों हुई।
2016 तक हत्या के कारण के तौर पर साइकोपैथ या सीरियल किलर्स को नहीं गिना जाता था।
उस समय तक LUNACY यानी पागलपन को ही हत्या के कारण के तौर पर दर्ज किया जाता था।
जिस भी हत्या के केस में हत्यारे की मानसिक स्थिति ठीक न हो या वह अपराधी पागलपन क्लेम करे, उस केस को LUNACY के तहत माना जाता था।
2017 से NCRB ने LUNACY की जगह साइकोपैथ/सीरियल किलर्स का कॉलम शुरू किया गया।
इस श्रेणी में उन केसों को रखा जाता है जिनमें हत्यारा किसी भी तरह के मानसिक विकार से पीड़ित हो।
ऑर्गनाइज्ड क्राइम यानी अलग-अलग गैंग से जुड़े अपराधी भी कई हत्याएं करते हैं, मगर उनमें से हरेक साइकोपैथ नहीं होता।
हालांकि चेन्नई के ऑटो शंकर के जैसे कई अपराधी साइकोपैथ की श्रेणी में आते हैं जिन्होंने किसी मानसिक विकार के चलते कई हत्याएं की।

अब जानिए 5 सीरियल किलर्स की कहानियां जिन्होंने सबको दहला दिया

1) एक मां, दो बेटियां…42 मासूमों की पटक-पटककर जान ली

इस केस में सरकारी गवाह बने रेणुका के पति किरण शिंदे के मुताबिक बच्चों को मारने के लिए अंजनाबाई कहती थी। एक बच्चे को उसने बिजली के खंभे से सिर टकरा-टकराकर मारा…तब उसकी दोनों बेटियां सीमा और रेणुका उसे देखते हुए वड़ापाव खा रहीं थीं। –
इस केस में सरकारी गवाह बने रेणुका के पति किरण शिंदे के मुताबिक बच्चों को मारने के लिए अंजनाबाई कहती थी। एक बच्चे को उसने बिजली के खंभे से सिर टकरा-टकराकर मारा…तब उसकी दोनों बेटियां सीमा और रेणुका उसे देखते हुए वड़ापाव खा रहीं थीं।
सीमा गावित और रेणुका शिंदे अभी पुणे की यरवदा जेल में हैं। सीमा, रेणुका और उनकी मां अंजनाबाई की कहानी खौफनाक है। ये तीनों रेणुका के पति किरण शिंदे के साथ मिल चोरियां करती थीं।

भीड़ भरे इलाकों में लोगों का सामान उठा लेना इनका तरीका था। पकड़े गए तो लोगों का ध्यान भटकाने के लिए छोटा बच्चा रखते थे।

इसके लिए ये लोग फुटपाथ पर रहने वालों के नवजात या छोटे बच्चे किडनैप करते थे। चोरी का काम पूरा होने के बाद इन बच्चों को पटक-पटककर मार देते।

1990 से 1996 के बीच इन लोगों ने करीब 42 बच्चों को जान से मारा। पुलिस इन्हें सिर्फ 13 किडनैप और 5 हत्याओं से जोड़ पाई।

ट्रायल के दौरान अंजनाबाई की बीमारी की वजह से मौत हो गई। सीमा और रेणुका को 2004 में फांसी की सजा दी गई थी। 2008-09 में दाखिल उनकी दया याचिका भी 2014 में रद्द हो गई। मगर इस देरी की वजह से 2022 में कोर्ट ने फांसी उम्रकैद में बदल दी।

2019 में आई फिल्म ‘पोशम्पा’ इनके अपराधों पर आधारित थी।

2) सायनाइड मोहन…शादी का झांसा देकर 32 महिलाओं को मारा

मोहन कुमार महिलाओं को बस अड्‌डे ले जाता था, जहां उन्हें बर्थ कंट्रोल पिल बता सायनाइड देता और बाथरूम में जाकर दवा लेने के लिए कहता। महिला की बाथरूम में ही मौत हो जाती। एक ही बस अड्‌डे से अलग-अलग समय 8 महिलाओं की डेड बॉडी मिली थी।
मोहन कुमार महिलाओं को बस अड्‌डे ले जाता था, जहां उन्हें बर्थ कंट्रोल पिल बता सायनाइड देता और बाथरूम में जाकर दवा लेने के लिए कहता। महिला की बाथरूम में ही मौत हो जाती। एक ही बस अड्‌डे से अलग-अलग समय 8 महिलाओं की डेड बॉडी मिली थी।
कर्नाटक के मंगलुरू में मोहन कुमार को 2009 में पकड़ा गया था। मोहन कुमार 1980 से 2003 तक PT टीचर रहा था।

उसका परिवार और जानने वाले उसे एक सामान्य व्यक्ति मानते थे। उसने दो शादियां की थी और दोनों लव मैरिज थीं।

पकड़े जाने के बाद मोहन ने 2005 से 2009 के बीच 32 महिलाओं की हत्या करना कुबूल किया।

वह ऐसी महिलाओं को शिकार बनाता जिनकी शादी न हो पा रही हो। उन्हें शादी का झांसा देकर वह उनके साथ एक रात बिताता।

अगले दिन उन्हें बर्थ कंट्रोल पिल बताकर सायनाइड खिला देता। हत्या के इस तरीके की वजह से उसे ‘सायनाइड मोहन’ का नाम दिया गया।

2009 में उसकी एक शिकार के फोन रिकॉर्ड्स के जरिये पुलिस उस तक पहुंच पाई थी। उसने 32 हत्याएं स्वीकार की, मगर पुलिस 20 के ही साक्ष्य जुटा पाई।

अभी मोहन कुमार कर्नाटक में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

3) रविंद्र कुमार…30 बच्चों का रेप कर जान से मार दिया

रवियह उस वक्त की है जब पेशी पर उसके साथ कुछ वकीलों ने मारपीट की थी। पुलिस चेहरा ढककर ही पेशी पर लाती है। रविंद्र अपने किए पर पछतावा जताता है और साथ ही निठारी कांड के आरोपियों की तरह अलग सेल चाहता है।
रविंद्र के चेहरे की यही एक तस्वीर सार्वजनिक है। यह उस वक्त की है जब पेशी पर उसके साथ कुछ वकीलों ने मारपीट की थी। पुलिस चेहरा ढककर ही पेशी पर लाती है। रविंद्र अपने किए पर पछतावा जताता है और साथ ही निठारी कांड के आरोपियों की तरह अलग सेल चाहता है।
दिल्ली में 2015 में पुलिस ने 6 साल की एक बच्ची के रेप और हत्या के मामले में रविंद्र कुमार को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तारी के बाद रविंद्र ने कुबूल किया कि 2008 से 2015 के बीच उसने 30 बच्चों का रेप और मर्डर किया था।

उसके ज्यादातर शिकार गरीब परिवारों के बच्चे थे और उनके गायब होने की कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करवाई गई थी।

24 साल के रविंद्र के मुताबिक जब वह 12 साल का था तब दो लोगों ने उसका भी रेप किया था। वह बच्चों को ही शिकार बनाता था क्योंकि वे कोई विरोध नहीं कर पाते थे।

रविंद्र के कुबूलनामे के बावजूद पुलिस अब तक सिर्फ 15 केसों में ही सबूत जुटा पाई है।

फिलहाल रविंद्र का केस कोर्ट में है। वह बेगमपुर जेल में है।

4) सरमन शिवहरे…जुर्म के जुनून में 22 हत्याएं कर डालीं

सतना में जब सरमन शिवहरे को लोगों ने पकड़ा तो बुरी तरह पीटा। इसके बावजूद पुलिस कस्टडी में उसका घमंड बरकरार था। एक रिपोर्ट के मुताबिक उसने पुलिस अफसर से कहा- मारो मत साहब, मैं बहुत बड़ा आदमी बनने वाला हूं। अभी चुनाव लड़ना है।
सतना में जब सरमन शिवहरे को लोगों ने पकड़ा तो बुरी तरह पीटा। इसके बावजूद पुलिस कस्टडी में उसका घमंड बरकरार था। एक रिपोर्ट के मुताबिक उसने पुलिस अफसर से कहा- मारो मत साहब, मैं बहुत बड़ा आदमी बनने वाला हूं। अभी चुनाव लड़ना है।
सरमन शिवहरे मध्य प्रदेश के पन्ना जिले का रहने वाला है। उसने सागर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया था, मगर फर्स्ट ईयर में छोड़ दिया।

उसने एक सेल्स जॉब शुरू की और इसी दौरान उसे पहली बार ग्वालियर में एक कट्‌टा मिला।

अपना कट्‌टा टेस्ट करने के लिए उसने एक महिला को घर में घुसकर गोली मार दी। वह कहता था कि हत्या करने के बाद उसे एक ताकत का अहसास होता था।

वह अमीर व्यापारियों, डॉक्टरों और अन्य लोगों को निशाना बनाता था। सारा काम वह अकेले ही करता था।

इंदौर में एक डॉक्टर की हत्या करने के बाद वह बाहर निकलकर एक नाश्ते के ठेले पर रुक गया था।

2011 में सतना में एक व्यापारी की हत्या के बाद उसे लोगों ने घेरकर पकड़ लिया था। गिरफ्तारी के बाद उसने 22 लोगों की हत्या करना कुबूला।

फिलहाल उस पर मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में केस चल रहे हैं।

5) शिव धुर्वे…फेमस होने के लिए 4 दिन में 4 हत्याएं

शिव धुर्वे ने भोपाल में जब गार्ड की हत्या की तो यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। पकड़े जाने के बाद शिव को अपने किए पर कोई पछतावा भी नहीं था। हालांकि पुलिस कस्टडी में उसने कहा कि उसने शिकार गलत चुने…बुरे लोगों को मारना चाहिए था।
शिव धुर्वे ने भोपाल में जब गार्ड की हत्या की तो यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। पकड़े जाने के बाद शिव को अपने किए पर कोई पछतावा भी नहीं था। हालांकि पुलिस कस्टडी में उसने कहा कि उसने शिकार गलत चुने…बुरे लोगों को मारना चाहिए था।
मध्य प्रदेश के सागर में पुलिस ने शिव धुर्वे को सितंबर में ही गिरफ्तार किया। 19 साल के शिव ने सागर में तीन और भोपाल में एक गार्ड को मार दिया।

शिव ने बयान में कहा है कि गार्ड सो रहे थे और उसे ये पसंद नहीं है। शिव के मुताबिक वह फिल्म केजीएफ-2 से प्रेरित था, गैंगस्टर बनना था।

फेमस होने के लिए उसने हत्याएं करने का फैसला किया था।

फिलहाल इस केस की सुनवाई कोर्ट में चल रही है।

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