छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर आया बड़ा फैसला फैसला। कोर्ट ने 50% से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने 58% आरक्षण को रद्द कर दिया है।
2012 में राज्य सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल, इंजीनियरिंग व अन्य कॉलेजों में एडमिशन पर 58% आरक्षण जारी किया गया था। राज्य शासन के बनाए आरक्षण नियम को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने करीब 7 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था। सोमवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।
दरअसल, साल 2012 में डॉ. रमन सिंह की सरकार ने 58% आरक्षण देने का फैसला किया था। डॉ. पंकज साहू, गुरु घासीदास साहित्य समिति सहित अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग 21 एक याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि 50% से ज्यादा आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के खिलाफ और असंवैधानिक है। सभी मामलों की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बैंच ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 50% से ज्यादा आरक्षण का प्रावधान असंवैधानिक है। गुरु घासीदास साहित्य समिति ने अनुसूचित जाति का प्रतिशत घटाने का भी विरोध किया था।
आरक्षण को चुनौती देने 21 याचिकाएं लगाई गई थी
राज्य शासन ने वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण प्रतिशत 4% घटाते हुए 16 से 12% कर दिया था। वहीं, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 20 से बढ़ाते हुए 32% कर दिया। इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14% यथावत रखा गया। अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण प्रतिशत में 12 फीसदी की बढ़ोतरी और अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में 4% की कटौती को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके साथ ही कोर्ट में अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर कर शासन के आरक्षण नियमों को अवैधानिक बताया गया था।