राजिम।पिछले वर्ष 28 सितंबर 2021 को राजिम में आयोजित किसान महा पंचायत को आज एक वर्ष पुरे हुए। आयोजन समिति के सदस्य व अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू ने राजिम किसान महापंचायत को स्मरण करते हुए कहा कि ये किसान आंदोलन की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। राजिम किसान आंदोलन की सफलता में मीडिया का भी बहुत बड़ा योगदान रहा वे हमारे महीनों पहले प्रारंभिक तैयारियों से लेकर सफल आयोजन तक रिपोर्टिंग करते रहें। किसान नेता तेजराम विद्रोही व जागेश्वर चंद्राकर ने देश प्रदेश के किसान नेताओं से समन्वय कर उन्हें अपने स्तर पर प्रचार प्रसार के लिए राजी किया। कम संसाधन होने के बावजूद हमारे निष्ठावान कार्यकर्ताओ ने गावों में कई राउंड प्रचार किया जिसके परिणास्वरूप किसान स्वत अपने अपने संसाधनों से राजिम पहुंचे।
हम चालीस पचास हजार भीड़ की दावा करते थे तो हमारी बातो को हवा हवाई समझते थे। राजिम में जुटे किसानो की लाखों की भीड़ ने आलोचकों की बोलती बंद कर दी। जो किसान आंदोलन को केवल पंजाब हरियाणा का आंदोलन बताते थे, उनकी बोलती भी बंद हो गई, राजिम किसान महापंचायत देश का दूसरा बड़ा महापंचायत था, इसमें योगेंद्र यादव, मेघा पाटकर, डॉ सुनीलम, राकेश टिकैत, युद्धवीर सिह, जैसे किसान नेता व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। वही प्रदेश के राजाराम त्रिपाठी, पारसनाथ, जनकलाल ठाकुर, शत्रुघन साहू, आलोक शुक्ला, लीलाराम साहू, सौरा यादव, वेगेंन्द्र, सहित सभी छत्तीसगढ़ के नेतृत्वकारी किसान नेताओं का विशेष योगदान रहा। राजिम किसान महापंचायत की सफलता ने ही प्रधानमंत्री जी को तीन कृषि काले कानून को वापस लेने के लिए बाध्य किया।