आज दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। इसे लेकर जमकर बाजार में रौनक है। लोग दो-तीन दिन पहले ही जमकर खरीदारी कर लिए हैं। वहीं बाजार में आज भी रौनक है। शाम को मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है। दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन माता लक्ष्मी भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। माना जाता है कि दीपावली के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे। 14 वर्ष का वनवास पूरा कर भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में लोगों ने पूरे अयोध्या को दीयों से सजाया था। आइए जानते हैं, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, संयोग और पूजा विधि…
इस विधि से करें पूजा
सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवी देवताओं की पूजा करें। शाम के समय लक्ष्मी पूजन के दौरान सबसे पहले शुद्धिकरण कर लें। सबसे पहले अपने ऊपर जल छिड़ककर शुद्धिकरण कर लें। इसके बाद सभी सामग्री पर भी जल छिड़क लें। इसके बाद हथेली में तीन बार जल लेकर उसे पी लें और चौथी बार हाथ धो लें । चौकी पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर लाल कपड़ा बिछा लें और भगवान गणेश, माता लक्ष्मी , कुबेर भगवान और मां सरस्वती की नई मूर्तियों को स्थापित करें। इसके बाद दीप को जला लें। इसके बाद सबसे पहले संकल्प लें। इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान कर लें। इसके बाद माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और मां सरस्वती का स्मरण करें। इसके बाद कलश का ध्यान करें। अब मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इनके साथ-साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।
दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 24, 2022 को शाम 05 बजकर 27 मिनट से शुरू
अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 25, 2022 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर खत्म
प्रदोष काल – शाम 06 बजकर 10 मिनट से शाम 08 बजकर 39 मिनट तक
वृषभ काल – शाम 07 बजकर 26 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक
पूजन सामग्री
दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश, मां सरस्वती और भगवान कुबेर की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दीपक, मां लक्ष्मी के वस्त्र, मां लक्ष्मी के श्रृंगार का सामान।