देश के हर कोने में हर जिले में और हर गली में किसी ना किसी नुक्कड़ में पान की दुकान और पान मसाला-गुटखा के प्रेमियों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. किसी राज्य में पान मसाला-गुटखा पर प्रतिबंध है तो कही खुली छूट. मगर प्रतिबंध के बाद भी वह जुगाड़ लगा कर लोग बेच भी लेते है और खरीद भी. ऐसे में अब शायद पान मसाला-गुटखा प्रेमियों को सरकार की तरफ से एक बड़ा झटका लग सकता है. और हम ऐसा क्यों कह रहे है इसकी वजह भी हम आपको बताएँगे।
क्या है ये नई आफत ?
दरअसल कुछ दिनों पहले एक रिपोर्ट आई थी और यह रिपोर्ट बिजनेस स्टैंडर्ड में थी. इसकी माने तो केंद्र सरकार के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने पान मसाला-गुटखा पर 38 फीसदी (38 %) ‘विशिष्ट कर आधारित शुल्क’ याने की specific tax based fee लगाने का प्रस्ताव पेश किया है. अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो गया तो पान मसाला-गुटखा के दामों में भारी इजाफा हो जाएगा.
मौजूदा समय में कितना टैक्स है इनपर ?
मौजूदा समय में जो पान मसाला गुटखा के शौक़ीन है उन्हें इन चीजों पर 28 फीसदी गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) लगता है. इसके अलावा एड वलोरम कंपेनसेशन सेस भी चुकाना पड़ता है. आसान भाषा में ‘मूल्यानुसार’.
किसने शुरू किया ये ?
दरअसल ओडिशा के वित्त मंत्री निरंजन पुजारी के नेतृत्व में मंत्रिस्तरीय पैनल ने इस मुद्दे पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है. इसे शनिवार 17 दिसंबर को GST काउंसिल की बैठक में पेश किए जाने की संभावना है. अगर इस रिपोर्ट को मंजूरी दी जाती है तो फुटकर दुकानदार और डिस्ट्रीब्यूटर दोनों स्तरों पर गुटखा-पान मसाला वाली चीजों पर टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी.
क्या कहना था बिजनेस स्टैंडर्ड का ?
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि छोटे और खुदरा कारोबारी GST रजिस्ट्रेशन के दायरे में नहीं आते हैं, जिस कारण इस तरह की चीजों में टैक्स चोरी ज्यादा हो रही है. अब मंत्रिस्तरीय पैनल ने पान मसाला, हुक्का, चिलम, चबाने वाली तंबाकू जैसी चीजों पर 38 फीसदी विशेष कर का प्रस्ताव किया है जो इन वस्तुओं के खुदरा बिक्री मूल्य का 12 फीसदी से लेकर 69 फीसदी तक हो सकता है