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जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने किया ब्रह्मलीन संत कवि पवन दीवान जी की प्रतिमा का अनावरण…

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गरियाबंद: अंचल के प्रख्यात सन्त कवि,प्रवचनकर्ता, ब्रह्मलीन पवन दीवान की प्रतिमा का अनावरण छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन,कृषि एवं ग्रामीण पंचायत मंन्त्री श्री रविन्द्र चौबे ने ब्रह्मलीन दीवान जी के जन्मस्थली ग्राम किरवई में किया। इस अवसर पर राजिम के विधायक श्री अमितेश शुक्ल भी मौजूद थे। स्वामी अमृतानन्द सरस्वती के नाम से मशहूर संत कवि श्री पवन दीवान की प्रतिमा का अनावरण शासकीय उच्चतर मा विद्यालय किरवई प्रांगण में किया गया। उल्लेखनीय है कि ग्राम किरवई में ही श्री दीवान का जन्म 1 जनवरी 1945 को हुआ था।

इस अवसर पर केबिनेट मंन्त्री श्री चौबे ने उनकी उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में उनके साहित्यिक, राजनीतिक, और सामाजिक योगदान को भुलाया नही जा सकता । श्री दीवान एक प्रख्यात साहित्यकार के साथ साथ सन्त ,प्रवचनकर्ता और कवि भी थे। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसा कोई नही है कि जो उसे याद नही कर रहे है । उनका ब्यक्तितव बहु आयामी था। अपनीं मिट्टी से प्रेम करने वाले वे अलौकिक विभूति थे। हमे उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला।उनका छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिये किया गया प्रयास को नही भुलाया जा सकता है। उनकी तपस्या से ही छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना। इस अवसर पर उन्होंने शाला परिवार को बधाई दी। केबिनेट मंन्त्री ने कहा कि नया राजधानी रायपुर में ब्रह्मलीन सन्त कवि पवन दीवान जी के नाम पर चौक का नामकरण किया जाएगा और उनकी प्रतिमा स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजिम में राम वन गमन परिपथ का विकास किया जा रहा है। उन्होंने शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी दी।
इस अवसर पर मंत्री श्री चौबे ने शासकीय उमा विद्यालय किरवई के विकास के लिए 1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने ग्राम पंचायत अंतर्गत खेल मैदान, बाजार शेड,500 मीटर सीसी रोड,पुलिया एवं पँचायत भवन की भी स्वीकृति दी।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्र के विधायक एवं प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री अमितेश शुक्ल ने कहा कि पवन दीवान जी बिरले ब्यक्तितव के धनी थे। पुराण,शास्त्रों के ज्ञाता थे। अंचल ही नही देश के अनोखे कवि थे। उनकी एक कविता मैं भी राख कालजयी था ।इस अवसर ओर उन्हें सादर श्रद्धांजलि दी। श्री अमितेश शुक्ल ने किसानों की रबी फसल के लिए सिकासार बांध से पानी की मांग को मंन्त्री श्री चौबे के समक्ष रखा।

इस अवसर पर उनके अनुज श्री राजू दीवान, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती मधुबाला रात्रे एवं श्रीमती लक्ष्मी साहू,जनपद अध्यक्ष फिंगेश्वर श्रीमती पुष्पा जग्गनाथ साहू, सरपंच श्री यथार्थ शर्मा,शाला प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष पुरषोत्तम साहू, श्री भाव सिंह साहू, श्रीमती पदमा दुबे, श्री बैशाखु राम साहू, विकास तिवारी ,भगवान धर दीवान ,टोमेश्वर पांडे, शारदा महाराज, कन्हैया महाराज,ओंकार पुरी गोस्वामी, संतोष सोनकर, तुकाराम कंसारी,अपर कलेक्टर अविनाश भोई, अनुविभागीय अधिकारी पूजा बंसल, शाला के प्राचार्य,शिक्षक एवं ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद थे।




सन्त कवि पवन दीवान जी का जीवन परिचय

छत्तीसगढ़ी, संस्कृत, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में विशेष योग्यता माध्यम से धार्मिक, साहित्यिक, सामाजिक एवं राजनीतिक मंचों के सर्व सम्मानित अधिकृत प्रवक्ता के रूप में सुविख्यात ।साहित्यिक रचनाएं देश के कई स्थापित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित बिम्ब ‘आंतरिक्ष एवं महानदी साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक के रूप में चर्चित । साहित्यिक सांस्कृतिक धार्मिक सामाजिक जैसे अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित संस्कृत विद्यापीठ राजिम में प्राचार्य के रूप में सेवा कार्य के साथ – साथ छत्तीसगढ़ में शोषण अत्याचार के विरूद्ध जनजागृति अभियान का संचालन श्रीमद भागवत कथा प्रवचन कवि सम्मेलन के माध्यम से छत्तीसगढ़ के लोगों को आत्मबोध कराने का प्रयास” छत्तीसगढ़ रत्न ” से सम्मानित है।

छत्तीसगढ़ राज्य स्तर पर कार्य करते हुए पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आन्दोलन के सूत्र धार के रूप में सक्रिय राजनीति में प्रवेश, विधायक, मंत्री, सांसद के रूप में जनसेवा का दीर्घ अनुभव । जीवन पर्यन्त भारतीय सामाज में राजनीतिक धर्म एवं संस्कृति के उत्थान हेतु सक्रिय भागीदारी विशेष कर नवगठित छत्तीसगढ़ प्रदेश की विषम स्थितियों पर चिंतन मनन एवं लेखन के माध्यम से धार्मिक, साहित्यिक, सामाजिक एवं राजनीतिक मंच के अधिकृत प्रवक्ता के रूप में सुविख्यात साहित्यिक रचनाएं देश के कई स्थापित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित बिम्ब ‘अंतरिक्ष एवं महानदी साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक के रूप में चर्चित । इनकी
प्रमुख रचनाएं हैं ।स्वर इसका पूजन,भजन संग्रह, फूल (कविता संग्रह) अम्बर का आशीष (गीत संग्रह )दीवान जी ने शुद्ध सरल हिन्दी शब्दों का प्रयोग किया है ।साधारण पाठक भी कविता के अर्थ को सहज रूप से समझ लेता है। छत्तीसगढ़ी भाषा के संबंध में दीवान जी महारथ थे। आपके सभी कविता को गीत के रूप में गाया जा रहा है। वीर रस, करूण रस, श्रृंगार रस, हास्य, व्यंग रसों का पुट आपके कविता में अदभूत मिश्रण है प्रकृति वर्णन भी आपके कविता में देखने को मिलता है ।ब्रह्मलीन पवन दीवान जी की मृत्यु 02 मार्च 2016 को हुई।उल्लेखनीय है कि पहले ही शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला किरवई को संत कवि पवन दीवान जी के नाम किया गया है।

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