राजिम माघी पुन्नी मेला 5 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है जो इस बार 18 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगा। राजिम मेले को लेकर बार बहुत ही खास तैयारी की गई है। इस बार राजिम में आपको बहुत कुछ खास देखने को मिलेगा। धर्म नगरी राजिम को इस बार जिला प्रशासन द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया है। पूरे शहर में तरह-तरह की रंग बिरंगी लाइटें लगाई गई है। राजिम नगर को देखने से ऐसा लग रहा मानो सतरंगी आसमान नीचे उतर आया हो। जिला प्रशासन के द्वारा इस बार राजिम की ऐतिहासिकता को प्रदर्शित करने के लिए राजिम स्थित पुरातात्विक स्थल सीताबाड़ी को नए ढंग से सजाया गया है, जो पूरे मेले में आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा। सीताबाड़ी में विभिन्न सतरंगी लाइटों को अनोखे अंदाज में लगाया गया है। जहां पर अद्भुत ही नजारा देखने को मिल रहा है। एक सुनसान से खंडहर जैसे पड़े स्थल को लाइट से सजाकर एक तरह से मानो उसमें जान फूंक दी गई है।
पूरे राजिम मेले में यह स्थल सबसे अधिक देखने लायक है, जिसमें राजिम की ऐतिहासिकता छिपी हुई है। इसकी खुदाई में राजिम ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश की ऐतिहासिकता का पता चलता है। प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों से ज्ञात होता है कि धर्म नगरी राजिम ईसा पूर्व से ही नगर के रूप में विख्यात रहा है जिसमें मौर्यकालीन कुआं भी मिला हुआ है। पुराने समय में यह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी हुआ करता था जहां पर चूड़ी बनाने, मनके बनाने आदि के कारखाने हुआ करते थे, यहां से विदेशों तक व्यापार भी किया जाता रहा है। यहां से प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों में पुजारी कक्ष, भगवान शिव जी एवं माता दुर्गा जी का मंदिर भी प्राप्त हुआ है। यहां के टीले में मंदिर के खंभे मंडप, साथ ही साथ मिट्टी के बर्तन, घोड़े बांधने का स्थल आदि भी प्राप्त हुए हैं। आपको बता दें की राजीव लोचन मंदिर के मंडप की दीवार में लगे शिलालेख से विदित होता है की यह मंदिर नलवंशी शासक विलासतुंग के द्वारा आठवीं शताब्दी में बनवाया गया है। इस ऐतिहासिक स्थल को नए रूप देने से राजिम मेले में आने वाले तमाम श्रद्धालुओं को राजिम की ऐतिहासिकता से अवगत होने का अवसर मिलेगा। यहां पर आए हुए लोगों को राजिम के बारे में अच्छे तरीके से जान पाएंगे कि धर्म नगरी राजिम आज ही नहीं बहुत ही पुराने समय से धर्म एवं आस्था का केंद्र रहा है जहां पर लोग श्रद्धा भाव के साथ आकर, महानदी में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करते हैं। और यह सिलसिला आज भी जारी है छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा राजिम मेले को माघी पुन्नी मेले का नाम दिया गया है, जो पूर्व में भी पुन्नी मेले के नाम से प्रचलित था। शासन के द्वारा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।