रायपुर : कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन बंसल के सामने नाराजगी जाहिर की।
मुख्यमंत्री की आपत्ति तीन बिंदुओं पर थी। पहली, स्वागत समिति में प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को चेयरमैन और मुख्यमंत्री को को-चेयरमैन बनाया गया है। दूसरी, कांग्रेस के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे आदिवासी नेता अरविंद नेताम को स्वागत समिति में रखा गया है। तीसरी, कई वरिष्ठ नेताओं को स्वागत समिति के लिए तैयार सूची से बाहर कर दिया गया है। केंद्रीय संगठन की तरफ से सूची जारी होने के बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री के सामने नाराजगी जताई थी, जिसे मुख्यमंत्री ने वेणुगोपाल तक पहुंचा दी है। केंद्रीय नेताओं ने मरकाम को तवज्जो दी है, उनकी गाड़ी में घूमे, लेकिन मुख्यमंत्री निवास तक नहीं गए।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो प्रदेश संगठन के एक वरिष्ठ नेता की कार्यप्रणाली को लेकर भी शिकायत की गई है। बताया जा रहा है कि वेणुगोपाल और बंसल के कार्यक्रम को आखिरी समय में बदल दिया गया, लेकिन इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को नहीं दी गई। कांग्रेस में लंबे समय से प्रदेश संगठन और सरकार के बीच तकरार चल रहा है। नई प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा के सामने संगठन के नेताओें ने मंत्रियोें और अधिकारियों के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी। अब राष्ष्ट्रीय अधिवेशन से पहले एक बार फिर सरकार और संगठन के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री बघेल जिस समय वेणुगोपाल से शिकायत कर रहे थे, उस समय प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा भी कमरे में मौजूद थी, लेकिन थोड़ी देर बाद वह बाहर निकल गईं।
सत्त्ता आने से पहले पांच गुटों में बटी थी कांग्रेस
प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता आने से पहले कांग्रेस पांच गुटों में बंटी थी। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस संगठन के समानांतर संगठन चला रहे थे। उनके पार्टी से बाहर होने के बाद टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, डा चरण दास महंत और सत्यनारायण शर्मा का गुट कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय था। प्रदेश में सरकार आने के बाद सिर्फ दो संगठन खेमा और सरकार खेमा बचा है। संगठन खेमे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को मंत्री सिंहदेव का समर्थन है।