राजिम। राजिम माघी पुन्नी मेला का शुभारंभ रविवार 5 फरवरी से हो गया है। राजिम माघी पुन्नी मेला के प्रथम दिवस पर मुख्य मंच पर गरियाबंद जिला के गौरव भूपेन्द्र साहू की रंगसरोवर की प्रस्तुति हुई जिसमें चैमासा के नाम से प्रसिद्ध गीत के पहले साथी कलाकारों ने अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार…. गीत की प्रस्तुति देकर स्वगीय नरेन्द्र देव वर्मा कि रचना को अमर कर दिया। इसी मंच पर छत्तीसगढ़ में होने वाले जस गीत सुवा नृत्य, गौरी-गौरा, पंथी नृत्य, रउत नाचा को मंच पर प्रस्तुत किया गया। ये गीत सुन दर्शकों को ऐसा लगा कि ये सारे त्योहारें हम आज मना रहे है।
इस मंच पर उसके बाद मंगल भवन अमंगल हारी….. भजन के माध्यम से रंग सरोवर के कलाकारों ने दर्शकों को भी राम नाम की माला जपने के लिए विवश कर दिया। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में छत्तीसगढ़ की दो सगी बहन गरिमा और स्वणा दिवाकर की प्रस्तुति की शानदार शुरूवात हुई। उनके सहयोगी कलाकारों के द्वारा गणराज हो गणराज….. से किया गया। इसके पश्चात दोनों बहनें ने माँ बच्चों की जान होती है वो होती है किस्मत वाले…. की प्रस्तुति दी गई। उनकी अगली प्रस्तुति के रूप में दीया जलाबों जी…. इस गीत ने भी मानव जीवन के महत्व को बताया। गरिमा और स्वर्णा दिवाकर कि सबसे प्रसिद्ध गीत नाच बईगा नाच… को सुनकर दर्शक खुब जोरदार तालिया बजाई। कलाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ परम्परा के अनुसार सुवा नृत्य, पंथी नृत्य और अंत में फाग गीत की प्रस्तुति दी गई। इन कलाकारों ने मंच पर छत्तीसगढ़ वेशभूषा का ध्यान रखकर प्रस्तुति दि गई। कलाकरों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया।