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पुन्नी के चंदा लोककला मंच की शानदार प्रस्तति, रेखा जलक्षत्री ने सुनाई राजा भरथरी की कथा…

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राजिम। माघी पुन्नी मेला के पांचवें दिन मुख्य सांस्कृतिक मंच में छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध भरथरी गाथा गायिका रेखादेवी जलक्षत्री ने अपने जाने पहचाने अंदाज में उज्जैन के राजा भरथरी की जीवन कहानी को सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होनें गाथा में बताया कि राजा भरथरी अपनी पत्नी पिंगला से बहुत प्रेम करते थे। उसे उसके गुरू गोरखनाथ ने एक फल दिया जिसे खाने से व्यक्ति सदैव जवान रहता है। राजा भरथरी ये सुनकर ये सोचा कि मैं अपनी पत्नी पिंगला को ये फल दे देता हूं तो वे सदैव जवान और सुंदर रहेगी। इसलिए वो फल को रानी को दे देते है। रानी उस फल को ले जाकर कोतवाल को दे देता है। क्योंकि रानी कोतवाल से प्रेम करती थी। फिर उस फल को कोतवाल ने वैश्या को दे दिया क्योंकि कोतवाल वैश्या से प्रेम करता था और कोतवाल ने वैश्या को बताया कि इसको खाने से तुम हमेशा जवान और सुंदर रहोगी। वैश्वा ने सोची कि यदि मैं ऐसी जवान और सुंदर रही तो मुझे ये गंदा काम करते रहना होगा।

इसलिए मैं इस फल को राजा को दे देती हूं, क्योंकि वे हमारे पालनकर्ता है, वो ज्यादा समय तक जवान और सुंदर रहेंगे। जब ये फल लेकर वैश्या राजा के पास जाती है और वह फल देती है तो राजा को आश्यर्च होता है कि वह फल उसके हाथ में कैसे आया फिर वैश्या कहती है ये फल तो मुझे कोतवाल ने दिया है। कोतवाल कहता है कि ये फल तो मुझे पिंगला रानी ने दिया है। सारी बातों को जानकार राजा को बहुत दुख होता है कि जिस रानी को मैं जी जान से चाहता हूं उसने मुझे धोखा दे दिया। उस दिन के बाद राजा भरथरी विक्रमादित्य को राजपाठ सौंपकर सन्यासी हो जाते है। रेखादेवी जलक्षत्री द्वारा इस प्रस्तुति ने दर्शकों को काफी रोमांचित किया। कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में ननकी ठाकुर और उभरती गायिका चम्पा निषाद ने प्रस्तुति दी। उनकी पहली प्रस्तुति छत्तीसगढ़ महतारी पैईया परो तोर….. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए लोक संगीत के राजा ददरिया गीत की प्रस्तुति दी। उसके बाद हाय रे मोर रायपुर के दीवानी…. पुन्नी के चंदा मोर अंगना मा… जैसे छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मंच पर छत्तीसगढ़ी संस्कृति बिखेरते हुए गीतों की प्रस्तुति की जा रही थी। उनके द्वार छत्तीसगढ़ी फिल्म आईलवयू और आईलवयू 2 के गीत को मंच पर प्रस्तुत दी। लोकमंच के एक नया गीत हाय-हाय रे मोर कोचई पान गीत को सुन दर्शक भी नाचने लगे। कलाकारों का सम्मान स्मृति चिन्ह भेंटकर केन्द्रीय समिति के विशिष्ट सदस्य, सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि आदि ने सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन निरंजन साहू ने किया।

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