राजिम। माघी पुन्नी मेला में 11वें दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के मुख्य मंच पर सुनील सोनी के एक से बढ़कर एक छत्तीसगढ़ी गीतों को सुनकर दर्शक भी गीतों के रस में डुबकी लगाने लगे। सुनील सोनी के मंच पर पहुंचते ही दर्शकों ने तालियों से स्वागत किया। उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति गणपति मोरिया मंगल मूर्ति मोरिया… और अरपा पैरी गीत के साथ शुरूआत की। इसके बाद मै बालक तू माता शेरावाली… भक्ति गीत की प्रस्तुति दी। स्व. लक्ष्मण मस्तुरिहा को गीतों की गीतांजलि देते हुए छईहा भुईहा ला छोड़ जवैया…. जैसे ही इस गीत की प्रस्तुति ने दर्शकों को छईहा भुईहा छत्तीसगढ़ी फिल्म की याद दिली दी। आवो दौना पान.., मया होगे रे तोर संग… ऐसे छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति सुन दर्शक भी झूमने लगे। काने मा बाली गोरा-गोरा गाल… गीत ने तो धमाल मचा दिया। सुनील सोनी और उसके सहयोगी कलाकार माधुरी भट्ट जो नयापारा राजिम की है वो भी थिरकने लगी। छत्तीसगढी फिल्म हंस झन पगली फंस जाबे के गीत मीठ-मीठ लागे मया के बानी…. बाग नदियां टुरी झन जा…., ऐ जिन्दगी के नई ए ठिकाना….. लहर गंगा ले लेतेन… जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर सुनील सोनी ने मंच पर अपना छत्तीसगढ़ी छाप छोड़ दिया। उनके आने वाले नये एलबम बारामासी तहीं मोर जिन्दगी के तीर्थ कांशी ये गीत युवा वर्गो को बहुत ज्यादा आकार्षित किया। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के और भी प्रसिध्द गीत ये मोर जहुरिया ए वादा हे…, प्रीत के आगी ला सुलगा के…, का तै जादू करें दिल ल काबू करें…. ऐसी गीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। मंच पर फाग गीत गाकर होलीमय बना दिया। महाशिवरात्रि को ध्यान में रखते हुए हर-हर भोला गुरू महादेव… गाया गया। सुनत नई ए वो बोलत नई ए वो मार पथरा के देवता… जैसे भक्ति गीतों ने आस्था के भाव प्रकट किए। मंच पर इसके पूर्व हेमलाल कौशल छत्तीसगढी फिल्म के कमेडी हीरो का राग-अनुराग लोककला मंच के द्वारा गणपति को मनाते हुए गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। अगली कड़ी में तोर ले मया होगे ना…. ऐ करिया बादल बरसे झमा-झम इन्हीं के बीच प्रेम लीला गम्मत की प्रस्तुति हुई जिसे देख दर्शक अपने हंसी को नहीं रोक पाये। धीरे-धीरे चोरी-चोरी मन में समाय राग-अनुराग की अंतिम प्रस्तुति थी जिसे देख दर्शक भी छत्तीसगढी सांस्कृतिक परंपरा से परिचित हुए। इन कलाकारों का स्वागत जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू के साथ अन्य जनप्रतिनिधि ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। इस विशाल सांस्कृतिक कार्यक्रम के समन्वयक पुरूषोत्तम चन्द्राकर और संचालन निरंजन साहू के द्वारा प्रतिदिन किया जा रहा है।