कंधे की चोट और बार-बार खिसकने की समस्या से जूझ रहे एक 36 वर्षीय युवक को आखिरकार राहत मिली, जब एस.एम.सी. सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर में आधुनिक तकनीक से की गई सफल दूरबीन सर्जरी (आर्थ्रोस्कोपी) द्वारा उसका उपचार किया गया। मरीज कुछ समय पहले गिरने के कारण चोटिल हुआ था, जिससे उसका कंधा पहली बार खिसका। प्रारंभ में मामूली इलाज से स्थिति संभली, लेकिन कुछ ही समय बाद उसे बार-बार कंधा खिसकने की तकलीफ होने लगी, जिससे उसकी रोजमर्रा की गतिविधियाँ भी प्रभावित होने लगीं।
उक्त समस्या के समाधान हेतु मरीज ने एस.एम.सी. सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में परामर्श लिया। ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सौरभ खरे द्वारा की गई चिकित्सकीय जांच एवं शारीरिक परीक्षण के उपरांत यह संदेह उत्पन्न हुआ कि मरीज के कंधे में ‘बैंकार्ट इंजरी’ है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कंधे की झिल्ली (लेब्रम) फट जाती है, जिससे कंधा अस्थिर हो जाता है और बार-बार खिसकने की संभावना बढ़ जाती है।
स्थिति की पुष्टि के लिए मरीज का MRI एवं CT स्कैन कराया गया, जिसमें साफ तौर पर बैंकार्ट इंजरी की पुष्टि हुई। इस निदान के बाद, मरीज को आर्थ्रोस्कोपिक बैंकार्ट रिपेयर सर्जरी की सलाह दी गई। इस सर्जरी में दूरबीन जैसी तकनीक का उपयोग कर बिना बड़े चीरे के कंधे की फटी हुई झिल्ली को फिर से जोड़ा जाता है। यह तकनीक कम तकलीफदेह, सुरक्षित और शीघ्र रिकवरी देने वाली होती है।
डॉ. सौरभ खरे एवं उनकी अनुभवी ऑर्थो टीम द्वारा यह सर्जरी एस.एम.सी. सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर में सफलतापूर्वक की गई। ऑपरेशन के पश्चात मरीज की स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है और वह पहले से कहीं अधिक सहज महसूस कर रहा है। मरीज ने बताया कि इलाज से वह पूर्णतः संतुष्ट है और अब पुनः सामान्य जीवन की ओर लौट रहा है।
एस.एम.सी. सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर में डॉ. सौरभ खरे द्वारा कंधे एवं घुटनों की जटिल सर्जरी दूरबीन विधि से निरंतर की जा रही हैं। इस तकनीक से अब तक अनेक मरीजों को राहत मिल चुकी है। हॉस्पिटल में उन्नत मशीनें, अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्जिकल सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिससे यहाँ की गई सर्जरी अत्यधिक सफल सिद्ध हो रही हैं।