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कामकाजी महिलाओं के छात्रावास निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान: मुख्यमंत्री डॉ.यादव

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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के कुल स्टार्ट-अप में से 45 प्रतिशत से अधिक की मालकिन महिलाएं हैं। ड्रोन दीदी के रूप में स्वसहायता समूह की बहनें नई पहचान बना रही हैं। शासकीय नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण ने बहन-बेटियों को सफलता के नए पंख दिए हैं। प्रदेश में महिलाओं के नाम जमीन, दुकान और घर की रजिस्ट्री में अतरिक्त छूट मिल रही है, इससे बहनों के पास सम्पत्ति की शक्ति आई है। बहनों का मान तो बढ़ा ही है, घर के फैसलों में भी अब महिलाओं को महत्व मिल रहा है। यह सब संकेत समाज के सशक्त होने के संकेत हैं क्योंकि समाज का सशक्तिकरण महिलाओं में सशक्तिकरण के बिना अधूरा है। हम यदि अपने राज्य को प्रगति की राह पर आगे बढ़ता देखना चाहते हैं तो बहन-बेटियों को शिक्षा, उनके कौशल उन्नयन और उन्हें रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराना जरूरी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कालिदास अकादमी, उज्जैन में सत्यज फाउंडेशन द्वारा आयोजित महिला केंद्रित रोजगार पर्व को मुख्यमंत्री निवास से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बहन-बेटियों को पढ़ाई और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए हर संभव व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कामकाजी महिलाओं के छात्रावास निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। महिला एवं बाल विकास के लिए कुल 27 हजार 147 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है। इसमें छह साल में जेंडर बजट का आकार दोगना हो गया है। व्यापार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई प्रकार की रियायतें प्रदान की गई हैं। यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि बहन -बेटियां रोजगार और कारोबार में अपने सभी कार्य जिम्मेदारी से संपादित कर रही हैं और परिवार भी संभाल रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बहन-बेटियों के जीवन के हर पड़ाव पर उनके साथ है।

 

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