Home छत्तीसगढ़ राजिम :प्रयाग साहित्य समिति द्वारा साहित्यिक संगोष्ठी में वक्ताओं ने रखे विचार

राजिम :प्रयाग साहित्य समिति द्वारा साहित्यिक संगोष्ठी में वक्ताओं ने रखे विचार

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राजिम । स्थानीय साहित्यिक संस्था प्रयाग साहित्य समिति द्वारा गायत्री मंदिर के प्रांगण पर साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन, मुंशी प्रेमचंद के जयंती के अवसर पर किया गया। इस मौके पर उपस्थित कवि एवं साहित्यकारों ने सर्वप्रथम कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के तस्वीर पर पुष्प चढ़ाकर पूजा अर्चन किए । वक्ता व्यंग्यकार संतोष सेन ने कहा कि साहित्यकार वर्तमान में भविष्य को देखता है मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन में साहित्य की हर पहलू को बारीकी से जाना। प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि भाषा विज्ञान की दृष्टि से मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कथा कहानी उपन्यास को पढ़ने से ही जीवन धन्य हो जाता है उन्होंने महंगाई पर एक व्यंग रचना भी दिया और कहा कि यह महंगाई है साहब, जो केवल और केवल कर्मचारियों एवं नेताओं की बढ़ती है। किसान तो भगवान है जो इनके जैसे गरीबों की किस्मत गढ़ती है। वरिष्ठ साहित्यकार नूतन साहू ने कहा कि साहित्य ही साहित्यकार को अमर बनाती है मुंशी प्रेमचंद की हर रचना अमर है। साहित्यकार तुकाराम कंसारी ने कहा कि साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। साहित्यिक अवदानो में उनके नाम का हमेशा स्मरण किया जाएगा। कवियत्री सरोज कंसारी ने कहा कि प्रेमचंद मुसीबत और विकटताओ से खेलते थे हर परिस्थिति में जीने की चाहत रखते थे कभी हार नहीं मानते थे। और यही जीने का जज्बा उन्हें साहित्य के सम्राट बना दिया। रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन और गोदान को कभी पढ़कर देखना उसमें लोगों के मन की बेबसी सिसकी और रुदन सुनाई ई देगी। गजल कार युवा शायर जितेंद्र कुमार साहिर ने अनुछूए पहलू को सभा के सामने रखा बताया कि हिंदी साहित्य सम्राट माने जाने वाले प्रेमचंद जी ने अपने लेखन की शुरुआत उर्दू साहित्य से नवाबराय के नाम से लिख रहे थे। उनकी पहली कहानी साजे वतन देश भक्ति पर आधारित थी जिसे अंग्रेजों ने प्रकाशन पर पाबंदी लगा दी । जब उनकी मुलाकात मुंशी दयानारायण निगम से हुई तो उन्होंने उन्हें प्रेमचंद से पुकारा तब से उनका नाम प्रेमचंद लिखा जाने लगा। साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने मंच संचालन करते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद की पूस की रात किसानों की पीड़ा को बाहर निकालने का काम करते है किसान तपती धूप या ठिठुरते ठंड में किस तरह से अपने खेतों की रखवाली करता है और आम जनता के लिए अन्न की उपज कर उन्हें खिलाने का काम करते हैं अन्नदाता किसान की पीड़ा को सामने ला दिया। इस मौके पर नवापारा से पहुंची यीशु कंसारी ने शानदार भजन की प्रस्तुति दी।

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