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इस दिन मिलेगी किसान सम्मान निधि की 13वीं किस्त, जाने…

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 फरवरी, सोमवार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत 13वीं किस्त जारी करेंगे। 8 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में सीधे 16,800 करोड़ रुपये जमा किए जाएंगे। यह कार्यक्रम कर्नाटक के बेलगावी में होगा। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी उपस्थित रहेंगे। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, इस कार्यक्रम में पीएम-किसान और जल जीवन मिशन के लाभार्थियों सहित एक लाख से अधिक लोगों की प्रभावशाली उपस्थिति का अनुमान है, वहीं करोड़ों अन्य किसान ऑनलाइन जुड़ेंगे। जो किसान भाई-बहन या अन्य लोग इस कार्यक्रम को लाइव देखना चाहते हैं, वे निम्नलिखित यूआरएल पर पहुंचकर कार्यक्रम के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।

योजना के तहत 11वीं और 12वीं किस्त पिछले साल मई और अक्टूबर में दी गई थी। 13वीं किस्त जारी करने के साथ, सरकार ने भारत के किसानों का समर्थन करने और उनकी आजीविका के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखा है। पीएम-किसान योजना ने पहले ही देशभर के किसानों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान किया है, और यह नवीनतम किस्त उनकी आय को और बढ़ाएगी और कृषि क्षेत्र के विकास में योगदान देगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2019 में पीएम-किसान योजना की शुरूआत की थी। इस योजना का उद्देश्य देशभर के सभी भूमिधारक किसान परिवारों को खेती योग्य भूमि के साथ निर्धारित मापदंडों के अधीन आय सहायता प्रदान करना है। योजना के तहत, प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि 2,000 रुपये की तीन किस्तों में सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जारी की जाती है। देश में सभी भूमिधारक किसान परिवार कुछ अपवर्जन मानदंडों के अधीन पीएम किसान के तहत पात्र हैं।

अब तक, 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों, मुख्य रूप से छोटे और सीमांत, को 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि वितरित की जा चुकी है। विशेष रूप से, कोविड लॉकडाउन के दौरान इन जरूरतमंद किसानों की मदद के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये कई किस्तों में बांटे गए। इस योजना ने तीन करोड़ से अधिक महिला लाभार्थियों को भी लाभान्वित किया है, जिन्होंने सामूहिक रूप से 53,600 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त किए हैं।

पहल के धन ने ग्रामीण आर्थिक विकास को गति दी है, किसानों के लिए ऋण की कमी को कम किया है और कृषि निवेश को बढ़ावा दिया है। इसने किसानों की जोखिम लेने की क्षमता में भी वृद्धि की है, जिससे अधिक उत्पादक निवेश हुआ है।

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