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छ.ग. में आरक्षण को लेकर सियासी पारा फिर से गर्म, आबकारी मंत्री लखमा ने कहा राज्यपाल केंद्र के दबाव में

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छत्तीससगढ़ में आरक्षण को लेकर सियासी पारा एक बार फिर से गर्म है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के विधायक राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन से मुलाकात करने राजभवन पहुंचे। राजभवन में आरक्षण को लेकर बने प्रतिनिधि मंडल ने छत्तीसगढ़ आरक्षण संशोधन विधेयक पर राज्यपाल से चर्चा की। राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कवासी लखमा ने कहा कि राज्यपाल केंद्र के दबाव में हैं। आरक्षण विधेयक पर दस्तखत को लेकर के उनके द्वारा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। भाजपा ने इसका खंडन करते हुए इसे कांग्रेस की नौटंकी बाजी करार दिया।

छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में छत्तीसगढ़ आरक्षण संशोधन विधेयक बिल पारित किया गया जो राजभवन में हस्ताक्षर के लिए रुका हुआ है। आपको बता दें कि हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण को अमान्य कर दिया गया है जिसके विरुद्ध छत्तीसगढ़ विधानसभा के द्वारा एक नया आरक्षण बिल पास किया गया जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिस पर 22 मार्च को सुनवाई होना है।

आरक्षण को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का इंदिरा साहनी गाइड लाईन: ज्ञात हो इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्णय दिया है कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती। जिसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा विधानसभा में इसकी सीमा से अधिक वाला आरक्षण संशोधन विधेयक लाया गया है। भले ही सरकार आरक्षण को लेकर के लाख दावे कर रही हो लेकिन इस आरक्षण को लेकर के सरकार के पास कोई स्पष्ट डाटा नहीं है जिस आधार पर इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट से मान्यता प्राप्त हो सके।

दर्जनों भर्ती परीक्षाओं का रिजल्ट है अटका : बता दें कि छत्तीसगढ़ में व्यापम एवं पीएसी के द्वारा भर्ती परीक्षाओं का रिजल्ट अटका हुआ है। हजारों की संख्या में बेरोजगार युवाओं को आशा है कि कब छत्तीसगढ़ में यह समस्या समाप्त हो और उनको रोजगार प्राप्त हो। कांग्रेस की सरकार आने के बाद प्रतियोगी परीक्षाएं पंचवर्षीय योजनाओं की तरह हो गई है जिसका जीता जागता उदाहरण एसआई भर्ती की परीक्षा है। जिसका नोटिफिकेशन वर्ष 2018 में भाजपा की सरकार के समय आया था लेकिन अभी वर्ष 2023 प्रारंभ हो चुका है। मतलब पूरे 5 वर्ष होने के है जिसके बावजूद अभी तक भर्ती नहीं हो पाई है। ऐसे ही दर्जनों भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट अटके हुए हैं।

क्या रुकी हुई भर्ती परीक्षाएं बिगाड़ सकती है कांग्रेस का समीकरण: आपको बता दें कि बीते 5 वर्षों में सरकार के द्वारा व्यापम एवं पीएससी केवल खानापूर्ति बना हुआ है। बहुत सी परीक्षाएं लंबित है और जो परीक्षाएं हो गई है उनका रिजल्ट जारी नहीं किया गया है और जिन का रिजल्ट जारी कर दिया गया है उनमें अब तक नियुक्तियां भी नहीं हो पाई हैं। जिसको लेकर करके युवाओं में सरकार के प्रति काफी आक्रोश है उनका कहना है कि जब से यह सरकार बनी है तब से सरकारी भर्तियां पंचवर्षीय योजना के समान हो गई हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण एसआई की भर्ती परीक्षा है जिसमें अभी तक नियुक्तियां तो दूर परीक्षा भी पूर्ण नहीं हो पाया है। सरकार भले ही आरक्षण को बहाना बनाकर परीक्षाएं नहीं ले रही हो लेकिन मनसा कुछ और नजर आती है। विभिन्न प्रतियोगी बीच मझधार में फंसा हुआ है। लाखों युवा हैं जो प्रदेश में सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं लेकिन सरकार के इस ढुलमुल रवैया के चलते इन सब का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। हमने कुछ युवाओं से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि अगर ऐसा रवैया रहा तो आने वाले समय में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा।

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