छत्तीसगढ़ में बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग चुकी है । प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष को बदलने के बाद अब जिला अध्यक्षों को बदलने की भी चर्चा है । माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष को बदलने के बाद अब बारी जिला अध्यक्षों की है । पार्टी सूत्रों के मुताबिक सभी जिलों के अध्यक्षों को बदलने के लिए रणनीति बन चुकी है । इस महीने के अंत मे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जे पी नड्डा छत्तीसगढ़ के दौरे पर आने वाले हैं । वहीं सितंबर के पहले सप्ताह में केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी छत्तीसगढ़ आएंगे । ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के दौरे के बाद या उससे पहले तमाम ज़िलों के अध्यक्षों को बीजेपी बदलने वाली है । पार्टी सूत्रों की माने तो क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल इसका संकेत दे चुके हैं ।
आखिर क्यों बदले जाएंगे जिला अध्यक्ष?
पार्टी सूत्रों की माने तो जिला अध्यक्षों के परफॉर्मेंस से पार्टी नाराज है, ऐसे में पार्टी के आला नेता जिला अध्यक्षों को बदलने का मन बना चुके हैं । पार्टी सूत्र बताते हैं कि जो जिम्मेदारी जिला अध्यक्षों को दी गई थी वह काम वो नहीं कर पाएं । प्रदेश सरकार के खिलाफ बूथ लेवल से लेकर मंडल लेवल और मंडल लेवल से लेकर जिला लेवल तक विरोध प्रदर्शन करने में जिला अध्यक्ष पार्टी की रणनीति पर खरा नहीं उतर पाएं । साथ ही नए प्रदेश अध्यक्ष के आने से जिला अध्यक्षों के नामों पर भी बदलाव नियमानुसार संभव है । इन्हीं सभी वजहों को देखते हुए माना जा रहा है पार्टी अब सभी जिला अध्यक्षों को बदलने वाली है ।
क्या है पार्टी की रणनीति?
बीजेपी ने पहले आरएसएस से जुड़े अजय जामवाल को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री बनाया, फिर आरएसएस से जुड़े रहे सांसद अरुण सांव को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर यह साफ कर दिया है बीजेपी किस सोच के साथ मिशन 2023 के लिए आगे बढ़ रही है । राजनीति के जानकार मानते हैं कि बीजेपी ‘राष्ट्रवाद‘ के मुद्दे को लेकर भी चुनाव में उतरने वाली है । साथ ही सूत्र बताते हैं कि आरएसएस ने प्रदेश में सर्वे भी कराया है । सर्वे में यह बात स्पष्ठ रूप से सामने आई है कि बीजेपी के पुराने नेताओं के बदौलत पार्टी 2023 में जितने वाली नहीं है । ऐसे में पार्टी में अमूलचूल परिवर्तन पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता की मांग है । इन्हीं सब कारणों की वजह से बीजेपी में बड़ा बदलाव आगे भी देखने मिलेगा ।
चुनाव में 450 दिन का वक्त
एक तरफ देखेंगे तो छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में लगभग 15 महीने का वक्त बचा है, लेकिन बीजेपी इसे 15 महीने नहीं बल्कि सिर्फ 450 दिन बचा मान के काम कर रही है । यहीं वजह है कि मीडिया के सामने बातचीत न कर अजय जामवाल पहले पार्टी के स्ट्रक्चर को ठीक करने में लगे हैं । उसके बाद कांग्रेस को घेरने की रणनीति के साथ आगे बढ़ेंगे ।