नवापारा राजिम :- सनातन धर्म एवम संस्कृति के ध्वज वाहक, द्वारका एवम ज्योतिरमठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का देवलोक गमन हो जाना समूची मानवता एवम विश्व के लिए अत्यंत दुखद व अपूरणीय क्षति है.
पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए उक्त उद्गार प्रगट किए, उन्होंने राजिम कुम्भ के प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले सन्त समागम में उनकी पावन उपस्थिति को याद किया, प्रकाण्ड विद्वान, जन जन की श्रृद्धा और आस्था के इस केंद्र बिन्दु का दर्शन करने व उन्हें देखने के लिए भक्तजनों की भीड़ उमड़ पड़ती थी, अंचल में उनसे सन्यास दीक्षा लिए हुए उनके शिष्य स्वामी सिद्धीश्वर आनन्द महाराज ने रुंधे गले से कहा कि लगता है कि हम सब अनाथ हो गए हैं, देवरी वाले अशोक अग्रवाल का परिवार उन्हीं से दीक्षित है, उन्होंने याद किया कि गुरुदेव को छत्तीसगढ़ से विशेष लगाव था, उन्होंने यहां तीन आश्रम बनवाए, बोरियाकला में स्फटिक की मां त्रिपुर सुंदरी देवी की प्राण प्रतिष्ठा उन्हीं के कर कमलों से हुई थी, आज उनके ब्रह्मलीन हो जाने से आध्यात्मिक जगत में एक शून्यता आ गई है,हम सभी शोक संतप्त हैं, पण्डित परिषद ने भी अपनें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि इस कालजई महामानव का पितृ पक्ष में शरीर छोड़ना, उनके पुण्यात्मा होने का स्वयं प्रमाण है,वे निश्चित ही बैकुंठ गए हैं.