राजिम। छत्तीसगढ़ निषाद समाज जिला गरियाबंद महासम्मेलन विगत दिनों फिंगेश्वर में सम्पन्न हुई जिसमें निषाद समाज के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक एवं संसदीय सचिव कुँवर सिंह निषाद, मछुआ कल्याण बोर्ड छत्तीसगढ़ शासन के अध्यक्ष एम आर निषाद इस सामाजिक कार्यक्रम में अतिथि के रूप में सम्मलित हुए। इन नेताओं से समाजिक मंच में सौजन्य मुलाकात भी किये। यह जानकारी भाजपा मछुआरा प्रकोष्ठ प्रदेश सोशल मीडिया सह प्रभारी शरद पारकर ने देते हुए कहा की निषाद समाज को सही लाभ सरकार का तभी मिल पायेगा जब अपने जीवन यापन करने में नरवा, डबरी, नहर, तालाब, छोटे मोटे डेम, जलाशयों नदी नाला से ही अपने जीवन यापन करते है। पंजीकृत मछुआरा समिति को जीवन यापन करने के लिए मछुआरा समाज के लोगों के समिति को ही अधिकार होना चाहिए । लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार दुवारा नवीन मछुआ नीति में तालाब /जलाशय को मछली पालन हेतु पट्टे पर देने खुली निविदा आमंत्रित कर मछुआरा समाज के समिति को इसका लाभ नही मिल पा रहा है. नवीन मछुआ नीति लाकर निषाद, ढीमर , कहर , केंवट, मल्हा सहित मछुआरा समाज से अभी भी कर रहे है छल । राज्य में एक साल चुनाव बचा है। मछुआरा समाज की सँख्या छत्तीसगढ़ में लगभग 20 लाख से भी ज्यादा है मगर सरकार के योजनाओं का लाभ मिलते नही दिख रहा है। मछुआरा समाज आज भी उपेक्षा महसूस कर रही है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। समय रहते इसमें सुधार नही किया गया तो इसका खमयाजा आगामी चुनाव में दिखेगा।