राजिम । राजिम भक्तिन माता जयंती समारोह में त्रिवेणी संगम के तट पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हजारों जनता को एक साथ मुख्य महोत्सव मंच से संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने जनता से पूछ लिया तब बैठे हुए हजारों जनता के बीच से आवाज आई राजिम को जिला बनाओ। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा चिंता मत करो। वैसे भी भूपेश है तो भरोसा है। यहां की तीन लाख से भी अधिक जनता एकमात्र भूपेश बघेल पर उम्मीद लगाए हुए हैं कि वह राजिम को जिला जरूर बनाएगी। इतना भरोसा छत्तीसगढ़ राज्य के दो मुख्यमंत्री पर नहीं किए थे जितना भूपेश पर भरोसा ही किए हुए हैं। भेंट मुलाकात के दौरान 5 एवं 6 दिसंबर को पहुंचे मुख्यमंत्री के पास जैसे ही जिला की मांग पहुंची उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि जिला को खड़ा करने में बहुत समय लगता है। उनके स्पष्टवादी विचारधारा ने हालांकि निराश जरूर किया लेकिन उम्मीद बढ़ा दी।
उल्लेखनीय है कि प्राचीन नगरी राजिम का इतिहास तीसरी चौथी शताब्दी माना गया है। सीताबाड़ी में हुए खुदाई से शहर के अति प्राचीन होने के प्रमाण भी मिले हैं। छठी- सातवीं शताब्दी के मंदिर तथा उसमें उत्तर्कीण कलाकारी आज भी इतिहासकरों कलानुरागियों एवं पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। यहां के प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर में दो शिलालेख एवं त्रिवेणी संगम के मध्य में स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के महामंडप में एक शिलालेख उत्कीर्ण है जिससे छत्तीसगढ़ में कलचुरियों के शासन की जानकारी मिलती है। यहां भगवान विष्णु का प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर के अलावा चार धाम वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, बद्रीनारायण अवतार विराजमान है। राजीव लोचन मंदिर के प्रवेश द्वार पर साक्षी गोपाल भगवान प्रस्थापित है। यहां अनेक शिवलिंग मौजूद है जिन्हें स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है। हरि और हर की नगरी होने का गौरव प्राप्त है। इनके अलावा त्रिवेणी संगम की मान्यता प्राप्त है जो इस तीर्थ स्थल को महातीर्थ का दर्जा दिलाती है। पर्वत स्नान के अलावा अन्य अवसरों पर स्नान दान अस्थि विसर्जन इत्यादि कृत्य के लिए बारहों महीना श्रद्धालुगण उपस्थित होते रहते हैं धर्म के क्षेत्र में राजिम का स्थान जिस तरह से अयोध्या, गया, काशी, कांची, अवंतिका, पुष्कर, उज्जैन, हरिद्वार, नासिक, प्रयाग नगरी का है उसी भांति राजिम नगरी को पुण्य प्रदायिनी तथा आस्था का केंद्र माना गया है। जिस तरह से उत्तरप्रदेश में 84 कोसी यात्रा होते हैं उसी तरह से कमलक्षेत्र में सदियों पुरानी पंचकोसी परिक्रमा का विधान है। यह जनवरी के 12 तारीख से एक सप्ताह के लिए आयोजित होता है जिसमें प्रदेश भर के सैकड़ों लोग एक साथ इस यात्रा का पुण्य लाभ लेते हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से राजिम विधानसभा की धमक राजधानी रायपुर से लेकर दिल्ली तक है। अविभाजित मध्यप्रदेश में 80 के दशक के दरमियान इस विधानसभा क्षेत्र में मध्यप्रदेश को तीन बार मुख्यमंत्री दिया। एक बार जेल मंत्री दिया तथा एक बार पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद दिया गया। इनके अलावा हर बार विधायक एवं सांसद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए विधानसभा और लोकसभा में लगातार भेज रही है। प्रदेश में अभी तक जितने मुख्यमंत्री बने हुए हैं उनके विधानसभा क्षेत्र जिला के रूप में अस्तित्व में आ गया है। मोतीलाल वोरा दुर्ग, अजीत प्रमोद कुमार जोगी मरवाही, डॉ रमन सिंह खैरागढ़। अलबत्ता राजिम विधानसभा ने सबसे पहले 1979 में पंडित श्यामाचरण शुक्ला को जीताकर मुख्यमंत्री प्रदान किया और तीन बार तक मुख्यमंत्री बनते रहे। उस लिहाज से अभी तक इन्हें जिला बन जाना चाहिए था परंतु दुर्भाग्य राजिम के किस्मत अभी तक नहीं खुला है। इस दौरान अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही संत कवि पवन दीवान राजिम को जिला बनाने की मांग करते रहे। राज्य बनने के बाद उन्होंने अजीत जोगी से यह बात रखी। सन् 2011 में डॉ रमन सिंह प्रदेश को 11 नये जिला की सौगात दी। उसने शायद सेंटर पॉइंट देखते हुए गरियाबंद को जिला बना दी और रायपुर जिला से राजिम को हटाकर गरियाबंद जिला में सम्मिलित कर दिया गया। पहले भी राजिम 45 किलोमीटर की दूरी तय कर रायपुर जिला मुख्यालय पहुंचते थे। वर्तमान में भी 44 किलोमीटर की दूरी तय कर गरियाबंद जिला मुख्यालय जाने के लिए मजबूर है। प्रदेश का प्राचीन शहर राजिम का जिला नहीं बन पाना यहां के लोगों को जमकर खल रही है। जनसंख्या की दृष्टि कौन से तीन लाख से भी ज्यादा आबादीवाले राजिम जिला हो सकता है। नवापारा और राजिम दोनों शहर कुछ कम एक लाख आबादी को कवर करती है। व्यापारिक सांस्कृतिक धार्मिक आर्थिक राजनीतिक सभी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अब तो यहां की जनता मानकर चल रहे हैं कि भूपेश बघेल ही राजिम जिला का दर्जा प्रदान करेगी। पिछले वर्ष 16 मार्च को महाशिवरात्रि पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जिला की घोषणा करने की बात सुनने के लिए लोगों के कान तरस गए हैं उस बार उन्होंने घोषणा नहीं किए तब भेंट मुलाकात के दौरान घोषणा होने की बात चल रही थी क्षेत्रीय विधायक अमितेश शुक्ला इस मांग को जोर-शोर से मुख्यमंत्री के पास उठाने वाले थे। उस समय लोगों को निराशा हाथ लगी। 7 जनवरी राजिम माता जयंती पर भी खूब चर्चा रही कि मुख्यमंत्री राजिम को जिला बना सकते हैं। अब माघी पुन्नी मेला 5 फरवरी से प्रारंभ होने को जा रहा है। भूपेश बघेल पर लोगों का विश्वास सिर चढ़कर बोल रही है भूपेश है तो भरोसा है यह कहावत निश्चित रूप से राजिम जिला के लिए चरितार्थ होगी।