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माघ पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई त्रिवेणी संगम में डुबकी

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राजिम। माघी पुन्नी के पावन अवसर पर रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया। इसी के साथ राजिम माघी पुन्नी मेला का भी शुभारंभ हो गया। माघी पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शनिवार 4 फरवरी से ही अचंल सहित प्रदेश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया था। रविवार को श्रद्धालुओं ने तड़के त्रिवेणी संगम पैरी सोढ़ूर और महानदी में तडके सुबह से डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य किया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ श्री राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ महादेव के मंदिर पहुंचकर दर्शन कर अपने परिवार की खुशहाली और सुख समृद्धि की आशीर्वाद मांगा। दोनों मंदिरों के अलावा श्रद्धालु लोमश ऋषि आश्रम, राजिम भक्तिन माता मंदिर, मामा-भांचा मंदिर, राजराजेश्वर, दानदानेश्वर, बाब गरीब नाथ महादेव के दर्शन किए।


नदी के धार मे किए दीपदान
कई महिलाएं एवं युवतियां तीनों नदी, पैरी, सोढूर और महानदी की धार में डुबकी लगाने के बाद नदी के रेत में शिवलिंग बनाकर उसमें नारियल, बेल पत्ता, धतुरे का फूल, दूध चढ़ाकर पूजा अर्चना किया और नदी के धार में दीपदान किए। जानकारो के मुताबिक सूर्योदय के पूर्व माघी पुन्नी स्नान का बड़ा महत्व है। दीप दान किए जाने का भी धार्मिक महत्व है, इसलिए नदी की धार में दीप दान कर सीधे श्री राजीव लोचन और भगवान श्री कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन के लिए लोग पहुंचते रहे।
श्री राजीव लोचन के जन्मोत्सव
माघी पूर्णिमा के दिन भगवान श्री राजीव लोचन का जन्म दिवस है। इसके उपलक्ष्य में सदियों से राजिम के इस पावन भूमि में मेले भरते आ रहा है। भगवान का जन्मोत्सव मंदिर प्रांगण में बैंड-बाजे के साथ बहुत ही धूम-धाम से मनाया गया है। भगवान के पूजा के बाद नया लाल ध्वज मंदिर के कलश में चढ़ाया गया। माघ पूर्णिमा को लेकर भगवान श्री राजीव लोचन का मंदिर दमकने लगा है। बिजली की झालर और तेज लाइट की रोशनी से जगमगाने लगा है।


सुरक्षा के पुख्ता इंतजात
मंदिर से लेकर पूरे मेला स्थल के चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। मंदिर में भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हैं। मेला स्थल पर जगह-जगह सी.सी.टीव्ही कैमरे से निगरानी रखी जा रही है।
पुन्नी स्नान के लिए पहुंचें श्रद्धालुओं ने इस संवाददाता को बताया कि हर वर्ष की तरह स्नान के लिए पानी की व्यवस्था अच्छी है। श्रद्धालुओं का कहना है कि माघी पुन्नी में सभी पर्व स्नान ब्रम्ह मुर्हुत में प्रातः कालीन करने से ही इसका महत्व है।



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