जिला मुख्यालय के एकमात्र पुराने धरोहर राजस्व विभाग के तहसील कार्यालय के भवन की हालत बदहाल हो गई है। अब इस भवन को सहेजने-संवारने के लिए जिला प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है। आने वाले समय इसे पुराने धरोहर के रूप में निखारा जाएगा। जिला बनने के 11 वर्षों बाद अब तहसील कार्यालय के भवन को सहेजने की योजना बनी है।
1955 से यानी 67 सालों से यहां तहसील और अनुविभागीय कार्यालय संचालित है। लेकिन अब शासकीय दस्तावेजों को बचाने में प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पिछले दिनों कलेक्टर प्रभात मलिक ने इस पुराने ऐतिहासिक भवन का निरीक्षण किया। उन्होंने अनुभाग अधिकारी के दफ्तर और तहसील कार्यालय संचालित करने के लिए इस भवन के मरम्मत के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए।
बरसात में छत से टपकता है पानी, भवन के पुनर्निमाण पर भी हुई चर्चा
यहां अधिकारी कर्मचारियों ने कलेक्टर को बताया कि बरसात में छत से पानी टपकता है, दीवारों में सिलन आ जाती है। इससे शासकीय रिकॉर्ड लगातार खराब हो रहे हैं। इससे बचने के लिए यहां मरम्मत की आवश्यकता है। अवलोकन के दौरान कलेक्टर ने भी इसे गंभीरता से लिया और भवन के पुननिर्माण को लेकर भी चर्चा भी हुई। लेकिन आगे कोई फैसला नहीं हुआ। एसडीएम विश्वदीप यादव और पीडब्ल्यूडी एसडीओ अशोक वर्मा ने इस प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए कहा कि इसमें मरम्मत की आवश्यकता है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
आजादी के पहले से बनकर तैयार हो गया था 1955 में अनुविभागिय दफतर खोला गया
मालूम हो कि आजादी के पहले से ही गरियाबंद प्रशासनिक केंद्र बिंदु रहा है। यह तहसील आजादी के पहले से बनकर तैयार हो गया था लेकिन 1955 में यहां अनुविभागीय दफ्तर खोला गया। छुरा रियासत के रजवाड़े के भवन में वर्षों से तहसील और अनुविभागीय कार्यालय संचालित है। मालूम हो कि इस भवन में पुराना शिव मंदिर भी है। जिला मुख्यालय के लिए यह भवन प्राचीन धरोहर से कम नहीं है। लेकिन चुना मिट्टी और लकड़ी से तैयार इस भवन के छत से पानी टपकता है। अब इसकी मरम्मत के लिए कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं।