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भारतीय अंतरिक्ष में क्रांति लाने वाले पद्मभूषण डॉ. विक्रम साराभाई के जन्म दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन…

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राजिम।नगर के शासकीय राजीव लोचन स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव व महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष में भौतिक शास्त्र व नैक प्रकोष्ठ द्वारा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के जन्म दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में डॉ. विक्रम साराभाई के छायाचित्र में मुख्य अतिथि संस्था प्रमुख डॉ. सोनीता सत्संगी ने माल्यार्पण कर उनको नमन किया। विक्रम साराभाई के व्यक्तित्व व जीवन पर एमएससी तृतीय सेमेस्टर के छात्र रूपेश साहू ने बताया कि 12 अगस्त 1919 को डॉ. साराभाई का जन्म हुआ था वह शुरू से ही अपनी अद्भुत प्रतिभा और दूरदर्शी सोच के लिए जाने जाते थे। छात्र चंद्रशेखर सोनी ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो )की स्थापना की थी। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शुरू करने में उनकी महती भूमिका रही थी, कार्यक्रम में उपस्थित संस्था प्रमुख डॉ. सोनिता सत्संगी ने अपने उद्बोधन में डॉ. विक्रम साराभाई को याद करते हुए कहा कि वे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक थे। वे उद्योगपति थे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सेनानी के रूप में भी जाने जाते थे। भारतीयों को विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में उच्च स्तर पर ले जाने के लिए उन्होंने अभूतपूर्व कार्य किया है। कार्यक्रम में उपस्थित प्रो. घनश्याम यदु और प्रो. एम. एल. वर्मा ने भी डॉ. साराभाई के अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान को याद किया और बताया कि हम उन्हें ही याद करते हैं जिनका कृतत्व व व्यक्तित्व देश को ऊंचा उठाने के लिए हरसमय आगे रहता है। कार्यक्रम में भौतिक शास्त्र के विभागाध्यक्ष और नैक प्रभारी डॉ. गोवर्धन यदु ने डॉ. विक्रम साराभाई को अंतरिक्ष कार्यक्रम का पिता और भारतीय विज्ञान के पुनर्जागरणकर्ता की संज्ञा दी और बताया कि आजादी के समय और इसके बाद भारत में अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में कोई विशेष कार्य नहीं किया गया था। डॉ. साराभाई का संबंध परम पूज्य गांधी जी ,भारत रत्न सी. वी . रमन और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को बताया कि भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की जानी चाहिए, इससे देश में अभूतपूर्व क्रांति संचार कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में आएगी। डॉ. साराभाई को विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय रेखांकनीय कार्यों हेतु पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ. यदु ने बताया कि साराभाई ने देश में 40 संस्थानों की स्थापना अपने दम पर की थी। भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद और इसरो इनमें से एक हैं। डॉ. साराभाई के कार्यों से ही प्रेरणा लेकर भारत का प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट छोड़ा गया था, चंद्रयान 2 के रोवर का नाम भी विक्रम रखा गया था। डॉ. साराभाई ने कॉस्मिक किरणों के संसूचन के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। भारत सरकार द्वारा 12 अगस्त को प्रतिवर्ष अंतरिक्ष कार्यक्रम दिवस मनाया जाता है।

कार्यक्रम का संचालन एमएससी तृतीय सेमेस्टर भौतिक शास्त्र की छात्रा चंचल देवांगन ने किया और आभार प्रदर्शन वासुदेव धीवर ने किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. समीक्षा चंद्राकर ,क्षमा शिल्पा मसीह, चित्रा खोटे, मुकेश कुर्रे , लोकेश कुमार , डॉ. देवेंद्र देवांगन , मनीषा भोई, श्वेता खरे ,भानु प्रताप नायक, डी. के . धुर्वा, योगेश तारक, एमएससी भौतिक शास्त्र के छात्र-छात्राएं व एनएसएस के स्वयंसेवक उपस्थित थे।

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