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मोदी ने इस जगह पर छोड़ा चीता, छत्तीसगढ़ में हुए 3 चीतों के शिकार का किया जिक्र…

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भोपाल/श्योपुर। प्रधानमंत्री मोदी ने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से भारत लाए गए 8 चीतों को मप्र के श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़कर चीता परियोजना का शुभारंभ किया. पीएम मोदी ने बटन दबाकर पिंजड़े का दरवाजा खोला और चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिहा किया. कूनों के क्वारंटाइन बाड़े में तीन नर और पांच मादा चीतों को छोड़ा है. चीतों को छोड़ते हुए खुद कैमरे में कैप्चर किया. इन चीतों को एक विशेष विमान से आज सुबह ग्वालियर में भारतीय वायुसेना एयरबेस लाया गया. यहां से वायुसेना के चिनूक हेलीकाॅप्टर से इन चीतों को कूनो वन अभयारण्य लाया गया



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों को छोड़ने के बाद अपने संबोधन में कहा कि आज चीता दशकों बाद हमारी धरती पर वापस आए हैं. इस ऐतिहासिक दिन पर मैं सभी भारतीयों को बधाई देना चाहता हूं और नामीबिया की सरकार को भी धन्यवाद देना चाहता हूं. यह उनकी मदद के बिना संभव नहीं हो सकता था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया का आभार माना. उन्होंने कहा कि हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था. 1947 में जब देश में केवल तीन चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया. ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए. आज आजादी के अमृत काल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है.

एक ऐसा काम राजनैतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई. चीता एक्शन प्लान बनाया. हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया. पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया. कूनो नेशनल पार्क में चीता फिर से दौड़ेंगे. आने वाले दिनों में यहां ईको टूरिज्म बढ़ेगा. रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे. आज देश के सभी देशवासियों से आग्रह करना चाहता हूं कि कूनो में चीतों को देखने के लिए कुछ महीने धैर्य रखना होगा. नए घर में आए हैं.

आज ये चीते मेहमान बनकर आए, इस क्षेत्र से अनजान हैं. कूनो को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसीलिए हमें इन्हें कुछ महीनों का समय देना होगा. इंटरनेशनल गाइडलाइंस के अनुसार भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है. प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी …भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं. हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं.

बता दें कि 75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीता देखा गया था. छत्तीसगढ़ में कोरिया के महाराजा ने 3 चीता शावकों का एक साथ शिकार किया था. वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था. इसके बाद आज 17 सिंतबर को 70 साल बाद देश में फिर से चीतों की वापसी हुई है.

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