Home अच्छी खबर शरद पूर्णिमा के दिन ऐसे करें पूजा, चंद्रमा की किरणों से...

शरद पूर्णिमा के दिन ऐसे करें पूजा, चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत…होता है बेहद ही शुभ…

71
0

आज पूरे देशभर में शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन रात को चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है यही वजह है कि रात को चंद्रमा की रोशनी में पकी हुई खीर रखने की परंपरा है।


क्यों मनाया जाता हैं यह पर्व ?
साल के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा में चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। वहीं, देवी महालक्ष्मी अपने भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं। दरअसल शरद पूर्णिमा का एक नाम कोजागरी पूर्णिमा भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है? अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है। इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है।

तिथि
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ आज यानि 9 अक्टूबर दिन रविवार को तड़के 3 बजकर 41 मिनट पर हो गई है। इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अक्टूबर सोमवार को तड़के 2 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा आज है।

चंद्रमा की किरणों से बरसता है अमृत
एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है। वहीं, आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है। केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से संपूर्ण और पृथ्वी के सबसे पास भी होता है। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।

शीतल चांदनी में रखी खीर खाएं
शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है। शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है। लेकिन इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।

पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें.
स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें.
पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें.
रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं.
रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें.
यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here