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पत्रकार की हत्या करने वाले आरोपियों को पुलिस ने ऐसे पकड़ा…ऐसे हुआ खुलासा…

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गुमशुदा पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पुलिस ने मामले में शामिल ग्राम बोक्करखार के सरपंच सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने पत्रकार की हत्या करने के बाद शव को जंगल में जला दिया था। वहीं उसकी बाइक को जंगल के अंदर ही गड्ढे में दफना दिया था।

मामले का खुलासा करते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह ने बताया कि 16 नवम्बर को प्रार्थी रूपेश चंद्रवंशी ने रिपोर्ट दर्ज कराया था कि इसके परिचित के मित्र एवं सहकर्मी पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता विवेक चौबे 12 नवम्बर से अपने घर से बिना बताये कहीं चला गया है। मामले में पुलिस ने गुम इंसान का अपराध दर्ज कर पतासाजी कर रही थी। तभी 21 नवम्बर को विवेक की बहन ने पुलिस को बताया कि किसी अज्ञात मोबाईल नंबर से इसके पास विवेक चौबे के संबंध में फोन कॉल प्राप्त हुआ है।

उक्त मोबाईल नंबर के धारक की पतासाजी कर धारक से फोन कॉल के संबंध में पुछताछ किया गया। मोबाईल धारक द्वारा भी किसी अनजान दो व्यक्तियों ने किसी से बात करने के लिए फोन मांग कर बात करना बताया तथा उपरोक्त दोनों व्यक्तियों के संबंध में कोई जानकारी तथा पहचान होना नहीं बताया। जिससे पुलिस की टीम अपने स्तर पर जांच कर रही थी। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली कि धवईपानी से कुण्डपानी की ओर जाने वाले रास्ते पर फारेस्ट के पेट्रोलिंग कैम्प के अंदर जंगल पहाड़ी की ओर जले हुए राख का ढेर है, जिसमें हड्डियो के टुकड़े दिखाई दे रहे हैं।


जिस पर मौके में पहुंची पुलिस ने हड्डियां जब्त कर जांच के लिए रायपुर मेकाहारा भेजा गया। वहीं पुलिस ने हत्या की आशंका जताते हुए मामले की जांच कर रही थी। जिसके बाद पुलिस को सूचना मिली कि विवेक को आखरी बार बोक्करखार के सरपंच अमित यादव के साथ देखा गया था। जिससे पुलिस ने संदेही सरपंच अमित यादव 28 वर्ष को हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया। जिससे आरोपी अमित ने बताया कि नंदलाल मेरावी 20 वर्ष, सुखसागर यादव 22 वर्ष एवं जगदीश धुर्वे 20 वर्ष के साथ मिलकर हत्या करने का स्वीकार किया है।



आरोपी सरपंच अमित यादव ने बताया कि 12 नवम्बर को लगभग 5 बजे पत्रकार विवेक चौबे उससे मिलने ग्राम बोक्करखार आया था। जो शाम-रात तक साथ में रहे, रात्रि के समय आपसी बातचीत में दोनों के मध्य विवाद होने से गुस्से में आकर उसे मुक्का से मारा जिससे वह अपने मोटर सायकिल से गिर गया फिर विवेक चौबे उठने का प्रयास किया तो पास रखे लाठी से उसके पैर व सिर में जोरदार प्रहार किया जिससे वह फिर गिर गया। जिसे पास जाकर देखा तो उसकी श्वांस नहीं चली रही थी।

जिससे वह घबरा कर अपने भाई सुखसागर यादव एवं अपने गांव के अन्य नंदलाल मेरावी और जगदीश धुर्वे को बुलाकर पत्रकार विवेक चौबे के शव को ठिकाना लगाने के लिए गांव से दूर जंगल की ओर ले जाकर पहाड़ी में उसके शव को पास पड़े लकड़ियो के मदद से जला दिया। उसके बाद उसके मोटर सायकिल को भी छिपाने के लिए अपने साथियों को बोला। जिस पर सुखसागर यादव और नंदलाल मेरावी ने मोटर सायकिल को जंगल में और दूर ले जाकर गड्डा खोदकर गाड़ी को गड्डे में डाल कर पाट दिये है तथा उसके मोबाईल को अपने पास रख लिया।


फिर रात्रि को जंगल खेत में ही बने स्थान में रूककर सुबह अपने घर आ गया। दूसरे दिन अपने गांव के अन्य व्यक्ति को कवर्धा में काम है, कहकर अपने साथ लेकर आया और ग्राम कुण्डपानी, चिल्फी होते हुए बोड़ला आये वहंा अमित यादव ने पत्रकार विवेक चौबे के मोबाईल से वकील को पुलिस को गुमराह करने के लिए कॉल किया फिर कवर्धा आकर रूक कर दूसरे दिन अपने गांव गया। अमित यादव के उक्त बातों की तथ्य को अन्य संदेहियो ने भी इसी तरह बताया। पुलिस ने आरोपियों के निशानदेही पर गुमशुदा के शव की हड्डियां एवं मोटर सायकिल को बरामद किया है।

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