छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के द्वारा आरक्षण के संबंध में जारी की गई शुद्धि पत्र से स्पष्ट हो चुका है कि छत्तीसगढ़ में 0 नहीं बल्कि 50% की आरक्षण व्यवस्था लागू है। पूर्व में छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में छत्तीसगढ़ में 0% आरक्षण जवाब दिया गया था। हाई कोर्ट के द्वारा जारी किए गए शुद्धि पत्र से प्रदेश सरकार की कलई खुल चुकी है सरकार के द्वारा अब तक लाखों छात्रों एवं युवाओं का भविष्य अधर में रखा गया। अस्पष्ट नीति और राजनीतिक लाभ लेने के लिए सरकार शून्य आरक्षण मानकर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कोई भी स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया जिसके चलते छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग एवं व्यापम के द्वारा ली जाने वाली सभी भर्तियां बीच में ही रोक दी गई एवं उसके बाद कोई भी नया विज्ञापन जारी नहीं किया गया। अब तक व्यापम एवं लोक सेवा आयोग के द्वारा दर्जनों से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं का रिजल्ट रोक दिया गया है सिर्फ इस बात को लेकर के कि प्रदेश में आरक्षण की कौन सी व्यवस्था लागू है। जिसके चलते कॉलेजों में इंजीनियरिंग, बीएड जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश भी रुक गया जिसके चलते लाखो छात्राओं का साल खराब होने वाला था वहीं अब तक बेरोजगार युवाओं के ली भर्ती प्रक्रिया पर भी रोक लग गई थी। प्रदेश सरकार कि अस्पष्ट नीति के कारण लाखों युवाओं का भविष्य अंधेरे में था। सत्ता पक्षऔर विपक्ष के इस राजनीतिक संघर्ष में नुकसान सिर्फ प्रदेश के लाखों युवाओं का ही हो रहा है।
आरक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने
इन दिनों आरक्षण को लेकर राजनीतिक सरगर्मी उफान पर है सत्ता पक्ष और विपक्ष आरक्षण को लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। इस बीच आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित होने के बाद राजभवन में हस्ताक्षर होने के लिए रुका हुआ है। जिसे राज्यपाल के द्वारा हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध 50% की सीमा से अधिक बताकर विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किया गया है। इस विषय को प्रदेश सरकार राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए भाजपा को आरक्षण विरोधी करार दे रही है। वहीं राजभवन को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर से संचालित होने का आरोप भी लगा रही है। प्रदेश कांग्रेस ने इस बात को लेकर प्रदेश की राजधानी में महारैली का भी आयोजन भी आज किया है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के शुद्धि पत्र में 50% आरक्षण
इस बीच एक बड़ी बात यह सामने निकल कर आई है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर एक भर्ती विज्ञापन निकाला गया है, जिसको लेकर 50% आरक्षण का शुद्धि पत्र जारी किया गया है। जिसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग को 20%, वही अनुसूचित जाति को 16% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जबकि छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में छत्तीसगढ़ में शून्य प्रतिशत आरक्षण अर्थात छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी की भर्तियों में 0% आरक्षण की व्यवस्था है, ऐसा जवाब दिया गया है। अर्थात हाई कोर्ट के अनुसार 50% आरक्षण जबकि सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार 0% आरक्षण। एक तरीके से यह एक विरोधाभास है। अब तक इस बात को लेकर स्पष्ट जानकारी छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी नहीं किया गया है। जिसके चलते छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गए राज्य सेवा भर्ती परिक्षा के विज्ञापन में 0% आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया है। वहीं अब तक लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई प्यून भर्ती परीक्षा साथ ही साथ व्यापम के द्वारा लिए गए बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं का परिणाम आरक्षण की व्यवस्था स्पष्ट नहीं होने के कारण नहीं जारी किया गया है।
सरकार की अस्पष्ट नीति के कारण लाखों छात्र एवं युवाओं का भविष्य अंधेरे में
प्रदेश में ऐसे लाखों युवा हैं जो बेरोजगार हैं और नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं और बहुत से युवा ग्रेजुएट होने के बाद सरकारी नौकरियों की तैयारी जोर शोर से कर रहे हैं लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस राजनीतिक संघर्ष के चलते लाखों युवाओं का भविष्य गांव में लगा हुआ है एक और सरकार आरटीआई के जवाब में कहती है कि छत्तीसगढ़ में 0% आरक्षण है जबकि हाई कोर्ट के द्वारा जारी शुद्धि पत्र में यही स्पष्ट कर दिया जाता है कि छत्तीसगढ़ में 50% आरक्षण व्यवस्था लागू है । अगर सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 50% आरक्षण की व्यवस्था का आदेश जारी कर दिया गया होता तो अब तक बीएड और इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम में बच्चों का प्रवेश हो जाता और उन्हें साल भर के लिए पढ़ाई से पिछड़ना नहीं पड़ता । सेवा आयोग एवं व्यापम के द्वारा रुकी हुई भर्तियां भी पूर्ण हो जाती और हजारों युवाओं को रोजगार मिल जाता लेकिन सिर्फ सत्ता के संघर्ष के लिए इन युवाओं का भविष्य गांव में लगा दिया गया।