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सांस्कृतिक पुनर्जागरण की प्रतीक भक्ति माता राजिम:-रूपसिंग साहू

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गरियाबंद 7 जनवरी राजिम भक्तिन माता जयंती के पावन पर्व पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं भाजपा नेता के रूपसिंग साहू ने दी बधाई और शुभकामनाएं श्री साहू ने अपने बधाई संदेश में कहा कि भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का राजिम क्षेत्र गरियाबंद जिले में महानदी के तट पर स्थित है यहां ‘राजिम’ या ‘राजीवलोचन’ भगवान रामचंद्र का प्राचीन मंदिर है राजिम का प्राचीन नाम पझक्षेत्र था पद्मपुराण के पातालखंड अनुसार भगवान राम का इस स्थान से संबंध बताया गया है राजिम में महानदी और पैरी नामक नदियों का संगम है संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है इस मंदिर का सम्मान राजिम की भक्ति माता से है कहते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजिम क्षेत्र राजिम माता के त्याग की कथा प्रचलित है और भगवान कुलेश्वर महादेव का आशीर्वाद इस क्षेत्र को प्राप्त है इसी कारण राजिम भक्तिन माता जयंती 7 जनवरी को राजिम भक्तिन माता की याद में मनाई जाती है छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु यहां एकत्र होकर माता की पूजा करते हैं राजीव लोचन मंदिर में लगे शिलालेख के अनुसार कलचुरी राजा जगपाल देव के शिलालेख में माता का उल्लेख मिलता है 3 जनवरी 1145 को शिलालेख लगाया गया था कहते हैं कि यहां साहू समाज के लोग एकत्र होते हैं एक ही स्थानीय दंतकथा के अनुसार इस स्थान का नाम राजीव या राजिम नामक एक तैलिक स्त्री के नाम से हुआ था कुलेश्वर मंदिर के भीतर सतीचैरा है जिसका संबंध इसी स्त्री से हो सकता है यह भगवान रामचंद्र और कुलेश्वर महादेव के मंदिर के अलावा जगन्नाथ मंदिर भक्त माता राजिम मंदिर और सोमेश्वर महादेव मंदिर भी है इस स्थान का नाम राजिम तेलीन के नाम पर इसलिए पड़ा क्योंकि यहां के तैलीय वंश लोग तिलहन की खेती करते थे इन्हीं तैलिन लोगों में एक धर्मदास भी था जिसकी पत्नी का नाम शांति देवी था दोनों विष्णु के भक्त थे और उनकी बेटी का नाम राजिम था राजिम का विवाह अमर दास नामक व्यक्ति से हुआ राजिम भी विष्णु कि वक्त थी जो मूर्ति विहीन राजीव लोचन मंदिर में जा कर पूजा करती थी राजिम की भक्ति त्याग और तपस्या के चलते ही वह संपूर्ण क्षेत्र में माता की तरह प्रसिद्ध हो गई भगवान के प्रति अपार सेवा भाव रखने व पुण्य प्रताप के कारण ही आज पूरे देश में राजिम भक्तिन माता की अलग पहचान है और संपूर्ण क्षेत्र को ही राजिम कहा जाता है राजिम का माघ पूर्णिमा का मेला संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु इस मेले में जुटते हैं माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक 15 दिनों का मेला लगता है इसे राजिम कुंभ मेला भी कहते हैं महानदी पैरी और सोंडुर नदी के तट पर लगने वाले इस मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र संगम पर स्थित कुलेश्वर महादेव का मंदिर है हालांकि अब इस मेले को राजिम माघी पुन्नी मेला कहा जाता है।

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