गरियाबंद में 74वें गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रविवार को नगरीय प्रशासन विकास एवं श्रम मंत्री शिव डहरिया यहां पहुंचे। यहां जहां लापरवाही के कारण मंत्री शिव डहरिया ने नगरपालिका CMO को सस्पेंड कर दिया। मंत्री ने ये कार्रवाई विश्राम गृह में विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान की। हालांकि जब कलेक्टर और स्थानीय नेताओं ने उन्हें बताया कि CMO का काम काफी अच्छा है, तब जाकर उनका गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने निलंबन आदेश वापस ले लिया।
दरअसल सर्किट हाउस में पत्रकारों और आम जनता से मुलाकात के बीच एक फरियादी ने अपनी पुरानी मांगों को लेकर मंत्री शिव डहरिया से मुलाकात की। फरियादी ने पेंशनर भवन से जुड़ी समस्या को रखा। जबकि 2 महीने पहले इसी मांग को लेकर ये व्यक्ति मंत्री शिव डहरिया के पास पहुंचा था, तब मंत्री दी ने नगरपालिका सीएमओ टॉमशन रात्रे को भवन मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजने के लिए कहा था, लेकिन इस आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ। अब फिर से फरियादी के पहुंचने पर मंत्री का गुस्सा सीएमओ पर भड़क गया। उन्होंने सीएमओ को तलब कर इसकी जानकारी ली। जब उन्हें पता चला कि 2 महीने के बाद भी काम नहीं हुआ है, तो भड़के मंत्री ने तत्काल सीएमओ को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।
कलेक्टर ने की सीएमओ की तारीफ, मंत्री को मनाने की कोशिश की, इधर रो पड़े सीएमओ
कलेक्टर प्रभात मलिक ने सीएमओ के कामकाज की तारीफ मंत्री शिव डहरिया से की। वे उन्हें शांत कराते दिखे। टॉमशन रात्रे के बेहतर काम का हवाला भी दिया, लेकिन नाराज मंत्री उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे। इधर कार्रवाई के बाद सीएमओ के आंख से आंसू निकल गए। वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी सीएमओ के कामकाज की तारीफ की। इसके बाद मंत्री का गुस्सा शांत हुआ। उन्होंने 15 मिनट के बाद चेतावनी के साथ निलंबन के आदेश को वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि जनता के काम में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे से इस बात पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी अधिकारी लोगों के काम अटकाएगा, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लोगों के निवेदन पर अधिकारी को चेतावनी देते हुए आगे से किसी भी आदेश की ऐसी अवहेलना ना करने की चेतवानी दी। उन्होंने कहा कि अभी लोगों के निवेदन पर आपको निलंबित नहीं कर रहा हूं, लेकिन आगे ऐसी गलती ना दोहराई जाए, ये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार है, आम जनता की हर बात की सुनवाई होनी चाहिए, चाहे मांग छोटी हो या बड़ी, किसी भी फरियादी की बात को अनसुना नहीं किया जाए।