Home दिल्ली लंबे समय से विचाराधीन कैदियों की रिहाई

लंबे समय से विचाराधीन कैदियों की रिहाई

21
0

दिल्ली। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 479 (1) दिनांक 1.7.2024 से प्रभावी हो गई है। इसमें प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति किसी कानून के तहत किसी अपराध की जांच, पूछताछ या परीक्षण के दौरान (ऐसा अपराध नहीं है जिसके लिए उस कानून के तहत मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा को दंड के रूप में निर्दिष्ट किया गया है), उस अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि के आधे तक की अवधि के लिए हिरासत में रहा है, तो उसे न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा किया जाएगा। पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति के मामले में, ऐसे कैदी को न्यायालय द्वारा बांड पर रिहा किया जाएगा, यदि वह ऐसे अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि के एक तिहाई तक की अवधि के लिए हिरासत में रहा हो।

पिछले साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर गृह मंत्रालय ने एक “विशेष अभियान” शुरू किया था। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) से अनुरोध किया गया था कि वे बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधानों के तहत पात्र विचाराधीन कैदियों की पहचान करें और उनकी जमानत/बांड पर रिहाई के लिए संबंधित न्यायालयों में उनके आवेदन प्रस्तुत करें। इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार, 26.11.2024 तक बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधानों के तहत पहचाने गए पात्र कैदियों और जिन्हें न्यायालय द्वारा जमानत दी गई थी, की राज्य/केंद्र शासित प्रदेशवार संख्या अनुलग्नक में दी गई है।

‘कारागार’/‘उनमें निरुद्ध व्यक्ति’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II की प्रविष्टि 4 के अंतर्गत “राज्य सूची” का विषय है। इसलिए, कैदियों का प्रशासन और प्रबंधन मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है, जिनके पास इस संबंध में उचित कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here