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प्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ….पुनः 25 अगस्त से होंगे हड़ताल में शामिल …

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रायपुर – छत्तीसगढ़ में आंदोलन से ठीक एक दिन पहले हड़ताल से हटने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ पुनः आंदोलन में शामिल हो गया है। ज्ञात हो कि आंदोलन से ठीक पहले लिपिकों के वेतन विसंगति को शीघ्र दूर करने के आश्वाशन पर संघ ने हड़ताल में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया था। लेकिन संघ की मुख्य सचिव एवं सक्षम अधिकारी से चर्चा उपरांत मांग पूरा होने की स्थिति निर्मित नहीं होने के कारण पुनः आंदोलन में वापस लौट चूका है। वैसे भी आंदोलन से ठीक पहले हड़ताल से वापस आने के निर्णय पर संघ के 80 – 90 फ़ीसदी कर्मचारी नाराज हो गए थे। छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ पुनः 25 अगस्त से हड़ताल में शामिल हो गया है।


आज मशाल रैली – कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले जारी अनिश्चितकालीन आंदोलन के चौथे दिन मशाल रैली निकाली जाएगी। मशाल रैली को कर्मचारी न्याय महारैली नाम दिया गया है। फेडरेशन के प्रान्त संयोजक माननीय कमल वर्मा ने समस्त कर्मचारियों , अधिकारीयों और पदाधिकारियों को सूचित कर मशाल रैली हेतु एक दिवस पूर्व ही तैयारी कर लेने की बात कही है। आज आंदोलन पश्चात् 3 से 4 बजे के बीच मशाल रैली निकालकर कर्मचारी अधिकारी अपने मांगों को बुलंद करेंगे।


लंबित डीए और एचआरए की मांग – प्रदेश के चार लाख से भी कर्मचारी अधिकारी लंबित महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप एचआरए की गणना की मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन पर है। चरणबद्ध आंदोलन के चौथे चरण में 22 अगस्त से निश्चित कालीन आंदोलन जारी है। प्रदेश के कर्मचारियों को पिछले तीन- चार साल से सही समय पर पूरा डीए और एरियस नहीं मिलने के कारण न्यूनतम 80 हजार से 5 लाख रूपये तक की आर्थिक हानि हुई है। लम्बे समय से सम्पूर्ण डीए की मांग के बाद भी राज्य सरकार कर्मचारियों के जायज मांगों को अनसुना कर रही है।

प्रदेश के शासकीय कार्यालय बंद, स्कूल कालेजों में भी पढ़ाई ठप – 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन में जाने के कारण प्रदेश के समस्त शासकीय कार्यालयों , दफ्तरों में ताला लटका है वही स्कूल एवं कालेजों में भी पढ़ाई पूरी तरफ से चौपट हो गई है। तहसील कार्यालय , जनपद कार्यालय , जिला स्तरीय न्यायालय कार्यालय सहित छोटे बड़े सभी कार्यालयों में ताले लटके हुए है। दफ्तरों को खोलने के लिए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी नहीं है। इस तरह से पूरा शासकीय कामकाज ठप पड़ा हुआ है।


राज्य सरकार ने सिर्फ 6 फ़ीसदी बढ़ाया डीए – राज्य सरकार ने आंदोलन को देखते हुए आंदोलन से ठीक पहले 6 फ़ीसदी डीए बढ़ाया है हालाँकि अभी भी केंद्र से 10 फ़ीसदी कम है , यही कारण है कि राज्य के कर्मचारी केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता देने के मांग पर अड़े हुए है। वही राज्य के कर्मचारियों को छठवें वेतन मान के आधार पर गृह भाड़ा दिया जा रहा है जो सरासर अन्याय है। राज्य के कर्मचारी सातवें वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा देने की मांग कर रहे है। यह मांग भी जायज है क्योंकि राज्य के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के आधार पर सैलरी दी जा रही है लेकिन गृहभाड़ा को छठवें वेतनमान के आधार पर दिया जा रहा है जो उचित नहीं है।



अब कालेजों में भी पढ़ाई ठप – कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के हड़ताल में अब उच्च शिक्षा विभाग भी शामिल हो रहा है , वैसे कई जगह पहले से ही शामिल हो गए है। लेकिन कई जिलों में सहमति नहीं बन पाई थी। अब कर्मचारियों की बीच सहमति बन गई है। जिस कारण से अब कालेजों में भी पढ़ाई ठप होगी।

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