छत्तीसगढ़ में खरीफ के धान की कटाई के साथ रबी की बुवाई शुरू हो रही है। इस बार इसका क्षेत्रफल पांच प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी है। पिछले साल रबी सीजन के दौरान 18 लाख 30 हजार हेक्टेयर खेतों में रबी की फसल बोई गई थी। कृषि विभाग ने इस साल 19 लाख 25 हजार हेक्टेयर में फसल लगाने की योजना तैयार की है।
कृषि विभाग ने रबी सीजन की तैयारियों के लिये अफसरों के साथ समीक्षा का दौर शुरू किया है। बुधवार को कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने रायपुर और दुर्ग संभाग के कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों सहित कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली। खरीफ की समीक्षा और रबी सीजन का कार्यक्रम तय करने के लिए यह बैठक रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में हुई। इस दौरान बताया गया, प्रदेश भी में इस साल रबी सीजन में 4.36 लाख हेक्टेयर में अनाज, 8.65 लाख हेक्टेयर में दलहन, 3.77 लाख हेक्टेयर में तिलहन तथा 1.97 लाख हेक्टेयर में अन्य फसलों की बुआई प्रस्तावित है। राज्य में अब तक एक लाख 56 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी है। रायपुर संभाग में इस साल रबी सीजन में 2 लाख 82 हजार हेक्टेयर तथा दुर्ग संभाग में 6 लाख 76 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई का कार्यक्रम तय हुआ है। रायपुर में यह पिछले साल की तुलना में 17% और दुर्ग में 3% अधिक है।
बैठक में दोनों संभागों के आयुक्त-कलेक्टर सहित कृषि और पंचायत के अधिकारी शामिल हुए थे।
बैठक में दोनों संभागों के आयुक्त-कलेक्टर सहित कृषि और पंचायत के अधिकारी शामिल हुए थे।
गर्मी के धान का प्रस्ताव एकदम शून्य
कृषि विभाग ने इस साल रबी सीजन के लिए निर्धारित फसल बुआई के कार्यक्रम में ग्रीष्मकालीन धान के रकबे का लक्ष्य शून्य कर दिया है। ऐसा गर्मी के धान की खेती को हतोत्साहित करने के लिये किया जा रहा है। कोशिश हो रही है कि किसानों का रुझान धान की खेती के बजाय गेहूं, चना, मटर सहित अन्य फसलों की ओर बढ़े। बीते रबी सीजन में राज्य में 2 लाख 22 हजार 170 हेक्टेेयर में किसानों ने ग्रीष्मकालीन धान की खेती की थी।
इस बार दाल-गेहूं पर अधिक जोर
बैठक में एक बात सामने आई कि विभाग का जोर गर्मी के धान की तुलना में दाल और गेहूं का उत्पादन बढ़ाने पर अधिक है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कलेक्टरों से कहा, राज्य और केंद्र सरकारें दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चला रही हैं। किसानों को इसका लाभ सुनिश्चित कर दलहन और तिलहन की खेती के लिए उन्हें प्रेरित करें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने पॉम प्लांटेशन को बढ़ावा देने तथा सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की खेती को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
कई जिलों में गेहूं की फसल का रकबा बढ़ रहा है।
कई जिलों में गेहूं की फसल का रकबा बढ़ रहा है।
गेहूं का रकबा बढ़ता जा रहा है
कृषि विभाग के मुताबिक रबी वर्ष 2022-23 में गेहूं के रकबे में बीते वर्ष की तुलना में 70 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी की गई है। अब गेहूं का रकबा 2 लाख 90 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। इसी तरह मक्का की खेती एक लाख 30 हजार हेक्टेयर, जौ-ज्वार एवं अन्य फसलों की खेती 16 हजार हेक्टेयर में लिये जाने का लक्ष्य है। दलहनी फसलों के रकबे 74 हजार 140 हेक्टेयर की वृद्धि प्रस्तावित कर इसका रकबा 8 लाख 65 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। बीते वर्ष रबी सीजन में 7 लाख 90 हजार 860 हेक्टेयर में दलहनी फसलें ली गई थी।
बाजार में मांग वाली फसलों की बात
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा, इस साल राज्य में हुई अच्छी बारिश हुई है। खेतों में अभी अच्छी नमी बनी हुई है, इसका फायदा उठाकर रबी फसलों का रकबा बढ़ाया जा सकता है। हम सबकी यह कोशिश होनी चाहिए कि किसान ऐसी फसलें उत्पादित करें जिसकी मार्केट में डिमांड हो, इससे किसानों को फायदा होगा।