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शहर में शिक्षा का बुरा हाल, एक ही कमरे में होती है 5 कक्षाओं की पढ़ाई

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राजिम 4 दिसंबर। शहर की सतनामी पारा के प्राथमिक शाला में शिक्षा का सबसे बुरा हाल देखने को मिल रहा है। यहां कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक की पढ़ाई होती है। यह सभी कक्षाओं के लिए कम से कम 5 कमरा होना बहुत जरूरी है इसके अलावा एक ऑफिस रूम, एक स्टाफ रूम तथा एक मध्याह्न भोजन कक्ष जरूरी होती है। परंतु यहां की स्थितियां कुछ और कहती है शनिवार को जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू अचानक सतनामी पारा में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में पढ़ाई का स्तर देखने के लिए पहुंचे। वहां की स्थिति परिस्थिति दोनों को देखकर श्री साहू दंग रह गए। शहर के सतनामी पारा के इस स्कूल में इंतजाम पूरी तरह से शून्य हैं। उन्होंने एक ही कमरा देखा जिसमें 66 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे इनके लिए अलग-अलग कक्षा नहीं बल्कि एक ही कमरा में सभी बच्चे पढ़ने को मजबूर है। कक्षा पहली में 12 छात्र-छात्राएं, दूसरी में 16, तीसरी में 11, चौथी में 7, पांचवी में 20 बच्चे इस तरह से कुल 66 बच्चे वर्तमान में अध्यनरत है। एक प्रधान पाठक और 3 सहायक शिक्षक कार्यरत है। सबसे बड़ी हैरत की बात यह रही कि कक्षा और मध्याह्न भोजन का संचालन एक ही कमरे में किया जा रहा है। इन्हें देख कर जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू का दिमाग चकरा गया और उन्होंने तुरंत जिला कलेक्टर से बात करने की मन बना ली है। उन्होंने बताया कि सोमवार को इस बाबत जिला कलेक्टर प्रभात मलिक से चर्चा करूंगा तथा तुरंत भवन की व्यवस्था करवाने जोर दूंगा। उल्लेखनीय है कि सतनामी पारा का प्राथमिक शाला तहसील मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर है। यह विधानसभा मुख्यालय है जहां से चुनकर प्रदेश के प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा वर्तमान विधायक अमितेश शुक्ला प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनके माता-पिता विधायक इसलिए चुनते हैं ताकि वह उनके आने वाले भविष्य के सहारा बने और शिक्षा स्वास्थ्य तथा मूलभूत सुविधाएं प्रदान करें लेकिन जनप्रतिनिधियों की इस तरह से रुखा व्यवहार तथा अधिकारियों की उदासीनता 66 छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। यही बच्चे कल देश के भविष्य बनेंगे और कोई डॉक्टर इंजीनियर तो कोई उन्नतशील किसान होंगे। परंतु यह तभी बन पाएंगे जब इन्हें अच्छी शिक्षा मिले। कहना होगा कि यहां से 44 किलोमीटर की दूरी पर बैठे जिला शिक्षा अधिकारी तथा 17 किलोमीटर की दूरी पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की नजर अभी तक क्यों नहीं पड़ी और तो और राजिम शहर के स्कूलों का यह हाल है तो फिर गांव की स्कूलों का आंकलन लगाया जा सकता है। इस संबंध में शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष कई बार प्रशासन से मांग कर चुके हैं लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान देना उचित नहीं समझा। बहरहाल बच्चे अभाव में ही भविष्य गढ़ने के प्रयास में लगे हुए हैं और शिक्षक भी उत्साह के साथ पढ़ा रहे हैं लेकिन एक कमरे में 5-5 कक्षाएं किस तरह से पढ़ाई होती है उसका तो भगवान ही मालिक है।

रोहित साहू ने कहा परिवार मानने वाले विधायक कहां है

जिला पंचायत रोहित साहू ने साफ शब्दों में कहा है कि राजिम विधानसभा क्षेत्र को विधायक अमितेश शुक्ला अपना परिवार मानते हैं लेकिन परिवार के इन बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं है। इन 66 बच्चों के भविष्य के साथ शर्मनाक मजाक हो रही है जिसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। विधायक दूर रायपुर में रहते हैं जिसके कारण उन्हें यहां कि क्रियाकलापों के संबंध में जानकारी नहीं है और शिक्षा से लेकर कई ऐसे बिंदु हैं जिस पर लोग बड़ी मुश्किल से गुजारा कर रहे हैं बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

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