रायपुर। मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में छत्तीसगढ़ को भी मौका मिल सकता है। छत्तीसगढ़ के दिग्गज भाजपा नेताओं के दिल्ली जाने के साथ ही इसकी सुगबुगाहट तेज हो गई है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में आदिवासी कोटे से सरगुजा की सांसद रेणुका सिंह केंद्र में राज्यमंत्री हैं। ऐसी चर्चा है कि ओबीसी वर्ग को ध्यान में रखकर किसी ओबीसी सांसद को शामिल किया जा सकता है। इनमें अरुण साव, विजय बघेल और सुनील सोनी के नाम की चर्चा है। वैसे एक और समीकरण चर्चा में है कि आदिवासी वर्ग से केंद्रीय राज्यमंत्री और ओबीसी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष होने के कारण सामान्य वर्ग से राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय या एससी वर्ग से जांजगीर सांसद गुहाराम अजगल्ले दौड़ में आगे निकल सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में चार दिन के दौरे के बाद छत्तीसगढ़ प्रभारी ओमप्रकाश माथुर बुधवार को दिल्ली लौटे। उनके साथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय भी गए हैं। इन नेताओं के एक साथ दिल्ली उड़ने की खबर के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई। खबर है कि भाजपा के कुछ सांसद भी दिल्ली में हैं। ऐसे में सीधे तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में प्रस्तावित फेरबदल और विस्तार को लेकर यहां जोड़ तोड़ की चर्चा शुरू हो गई।
जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ तब यहां से तीन केंद्रीय राज्यमंत्री थे। रमेश बैस, डॉ. रमन सिंह और , दिलीप सिंह जूदेव को अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने मंत्रिमंडल में मौका दिया था। बाद में रमन ने केंद्र के मंत्री की जिम्मेदारी छोड़कर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनना स्वीकार किया था। इसके बाद कभी छत्तीसगढ़ को एक से ज्यादा को मौका नहीं मिल पाया। मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में अकेले डॉ. चरण दास महंत केंद्र में राज्यमंत्री रहे। नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तब पहली पारी में विष्णुदेव साय को शामिल किया। दूसरी बार में रेणुका सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया।
छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। इस लिहाज से यहां भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात आ रही है। ओबीसी वोट बैंक के लिहाज से साहू और कुर्मी वोटरों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में साहू समाज से प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और कुर्मी समाज से विजय बघेल दावेदार हो सकते हैं। क्वांटिफायेबल आयोग की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में 42% ओबीसी होने की बातें आई हैं। ओबीसी चेहरे के रूप में रायपुर सांसद सुनील सोनी भी हो सकते हैं। इन चर्चाओं के साथ जानकार यह भी तर्क रखते हैं कि छत्तीसगढ़ में सामान्य वर्ग भी कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं, जबकि एससी की 10 आरक्षित सीटें हैं और मैदानी क्षेत्र में कई सामान्य सीटों पर भी अच्छी खासी संख्या में हैं। इन तकों के आधार पर ही संतोष पांडेय और गुहाराम अजगले की बात सामने आ रही है।
छत्तीसगढ़ में चुनावी काउंटडाउन शुरू
कोरबा में गृहमंत्री अमित शाह की सभा के साथ ही भाजपा में छत्तीसगढ़ में चुनावी काउंटडाउन शुरू होने की चर्चा शुरू हो गई है। भीतरखाने में ऐसी बातें हैं कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव शाह की निगरानी में ही लड़ा जाएगा। देशभर में हारी हुई जिन सीटों पर भाजपा का फोकस है, उनमें से एक कोरबा की जिम्मेदारी लेने के पीछे भी यही गणित बताया जा रहा है। 16-17 को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक 16 व 17 जनवरी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक है। इसमें चुनावी कार्ययोजना बनाई जाएगी। इसके बाद 21-22 को छत्तीसगढ़ भाजपा की कार्यसमिति अंबिकापुर में होगी। राष्ट्रीय कार्यसमिति में छत्तीसगढ़ को लेकर जो कार्ययोजना होगी, उसके संबंध में कार्यसमिति के सदस्यों को बताया जाएगा। इससे पहले आदिवासी सम्मेलन करने की भी तैयारी है।