नई दिल्ली: नीरज यानी कमल फिर खिला है. पानीपत का ‘चोपड़ा’ हिंदुस्तान के लिए फिर से लड़ा और सिल्वर मेडल जीता है. पूरी दुनिया ने देखा उसे अपने भाले से अमेरिकी जमीन को नापते हुए.
लड़खड़ाकर संभलते हुए. भारत की संडे मॉर्निंग को खुशियों से भरी सुबह में बदलते हुए. वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के मेंस जैवलिन इवेंट में Neeraj Chopra ही नहीं, 140 करोड़ वो भारतीय भी मेडल जीते हैं, जो इसके इंतजार में थे. अपनी बुलंद जीत से ओलिंपिक चैंपियन ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के सीने पर भी तिरंगा गाड़कर हिंदुस्तान की छाती एक बार फिर से चौड़ी की है.
कहते हैं आगाज अच्छा हो ना हो अंजाम बेहतर होना चाहिए. नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के मेंस जैवलिन इवेंट में कुछ ऐसा ही करके दिखाया है. अमूमन बड़े मंच पर हम जैसी उनकी शुरुआत देखते हैं, वैसा अमेरिकी जमीन की दूरी नापते हुए देखने को बिल्कुल नहीं मिला.
पहले लड़खड़ाए फिर संभले नीरज चोपड़ा
मेंस जैवलिन इवेंट के फाइनल की शुरुआत नीरज चोपड़ा के थ्रो से हुई. लेकिन उनका पहला थ्रो ही फाउल हो गया. इस गड़बड़ाए थ्रो ने उनके आत्मविश्वास को डगमगाने का काम किया. इस बीच ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने अपना पहला ही थ्रो 90.21 मीटर का फेंक दिया, जिससे नीरज पर और ज्यादा दबाव आ गया. वो दूसरे थ्रोअर से पिछड़ने लगे. लेकिन वो कहते हैं ना जो गिरते हैं वही संभलते हैं. और ये चीज नीरज चोपड़ा के आगे आने वाले थ्रो में दिखी.
नीरज चोपड़ा ने अपना दूसरा थ्रो 82.39 मीटर का फेंका, तीसरा थ्रो उन्होंने 86.37 मीटर फेंका और फिर चौथे थ्रो में वो दूरी नापी जिसने उन्हें सिल्वर मेडल का दावेदार बना दिया. नीरज का चौथा थ्रो 88.13 का रहा, जिसे वो अपने फाइनल थ्रो में दुरुस्त नहीं कर सके. पर उनके भाले ने भारत की चांदी पक्की कर दी.