सनातन परंपरा में शक्ति की आराधना का एक अलग ही महत्व है. ये भी खास बात है कि शक्ति का स्त्रोत देवी को माना गया है. इसे ही देवी पराशक्ति, प्रकृति, जगतमाता, जगजननी और अंबा कहकर पुकारा गया है. देवताओं के तेज और त्रिदेवियों की ज्योति से उत्पन्न देवी दुर्गा का स्वरूप ही शक्ति का आकृति स्वरूप है. इसी साकार शक्ति की पूजा का पर्व नवरात्रि है, जिसे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. शक्ति का ये पर्व बाहरी उल्लास के साथ मनुष्य की भीतरी आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति को जगाने का जरिया भी है.
इस तारीख से नवरात्रि की शुरुआत
मातृ शक्ति को समर्पित नवरात्र के दिनों में मां आदि शक्ति और उनके नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है. इस साल शरद नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. इसके ठीक पहले श्राद्ध पक्ष मनाया जा रहा है और इसके खत्म होते ही माता की आराधना का पर्व शुरू होगा. 9 दिनों तक चलने वाला यह महापर्व 5 अक्टूबर को विजय दशमी के साथ ही संपन्न होगा. नवरात्र के हर दिन माता के अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. माता के ये सभी नौ स्वरूप कल्याणकारी व परोपकार की भावना को दर्शाते हैं. इन नौ दिनों में भक्त माता की उपासना में लीन रहते हुए व्रत और उपवास करते हैं. नवरात्र के पहले दिन पूजा अनुष्ठान के साथ माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना की जाती है.
इस बार है दुर्लभ संयोग
सनातन पंचांग के मुताबिक इस बार नवरात्र में नक्षत्रों का बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस बार नवरात्र की शुरूआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है. 25 सितंबर को सुबह 9.06 बजे से 26 सितंबर को सुबह 8.06 बजे तक शुक्ल योग बन रहा है, जबकि 26 सितंबर को सुबह 8.06 बजे से 27 सितंबर को सुबह 6.44 बजे तक ब्रह्म योग के बना रहेगा.
अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रांरभ – 26 सितंबर 2022, 3.24 AM अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समापन- 27 सितंबर 2022, 03.08 AM
अभिजीत मुहूर्त- 26 सितंबर सुबह 11.54 से दोपहर 12.42 मिनट तक घटस्थापना मुहूर्त – 26 सितंबर 2022, 06.20 AM – 10.19 AM