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पूजा करते समय भूल के भी न करें ये गलती, माता लक्ष्मी होती है नाराज…

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आपको बता दें कि दिवाली के दौरान मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा का विधान हैं। हर भक्त अपनी क्षमता के अनुसार मां और विघ्नहर्ता की पूजा करता है। कहते हैं मां कभी भी किसी को निराश नहीं करती हैं और दोनों हाथों से अपने भक्तों पर प्यार लुटाती हैं। मां लक्ष्मी और प्रभु गणेश जी की कृपा, जिस किसी पर भी होती है, उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती है और ना ही उसके घर से सुख-संपदा कम होता है। प्रभु गणेश की कृपा से उसके सारे कष्ट मिट जाते हैं और उसकी बुद्धि को बल मिलता है लेकिन मां लक्ष्मी की पूजा करते वक्त कुछ सावधानी बरतनी चाहिए। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में…

लक्ष्मी पूजन के दौरान क्या करें और क्या ना करें?

लक्ष्मी और गणेश जी, दोनों की पूजा करते वक्त तुलसी की पत्ती का प्रयोग ना करें।
मां लक्ष्मी की पूजा करते वक्त हमेशा दीए मां के दाईं ओर रखें।
कभी भी एक दीए से दूसरे दीए को ना जलाएं।
मां को लाल या पीले फूल चढ़ाएं, मां की आसन और चुन्नी का रंग भी लाल होना चाहिए।
मां को सफेद रंग के फूल ना चढ़ाएं।
मां की पूजा करते वक्त रंगीन कपड़े पहने और सफेद या काला रंग के कपड़े पहनकर पूजा ना करें।
मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की भी अराधना करें, ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रस्नन होती हैं।
भगवान गणेश जी को मोदक और लड्डू बहुत पसंद है, ऐसे में आप उन्हें इनमें से किसी का भोग लगाएंगे तो निश्चित तौर पर वो तो प्रस्नन होंगे ही , अपने पुत्र को खुश होते देख मां लक्ष्मी भी बहुत ज्यादा खुश होंगी।
लक्ष्मी मां की पूजा के बाद प्रसाद को मंदिर के दक्षिण तरफ रखें और परिवार के सभी लोगों को बांटे।
घर में मांसाहारी भोजन ना बनवाएं और ना ही खाएं, मदिरापान भी ना करें और ना ही जुआं खेलें।
दीपावली रोशनी का पर्व है, जो खुशियां लाता है, ऐसे में सभी को मिलजुलकर ये पर्व मनाना चाहिए।
दिवाली के दिन घर में साफ-सफाई रखें और अगर आप मेन डोर पर मां लक्ष्मी के पैर बना रहे हैं तो वहां पर जूते-चप्पल ना रखें।
दिवाली के दिन आप अपने घरों के आंगन या मेन डोर पर रंगोली जरूर बनाएं, ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रस्नन होती हैं।
खास बात

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त शाम 24 अक्टूबर को शाम 6:53 से शुरू होगा और 8:15 बजे तक रहेगा।

क्यों मनाते हैं दिवाली?

इस दिन ही भगवान राम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। इस दिन अमावस्या थी तो लोगों ने घरों को दीपकों से सजाया था इसलिए ही इस दिन लोग अपने घरों को दीपकों से सजाते हैं।

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