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महिला आयोग के जनसुनवाई में भाई ने लगाया डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप…

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में राज्य महिला आयोग की जनसुनवाई में एक भाई ने अपनी बहन की डिलीवरी से मौत पर रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। भाई ने जब गर्भवती बहन की जांच कराई थी, तब रेडियोलॉजिस्ट ने गर्भ में दो बच्चे होने की जानकारी दी थी।


लेकिन, जब डिलीवरी हुई, तब तीन बच्चे पैदा हुए और महिला की मौत हो गई। आयोग ने पहली बार महिला की तरफ से भाई की शिकायत पर सुनवाई की। साथ ही केस की गंभीरता को देखते हुए इसे रायपुर ट्रांसफर कर एक्सपर्ट की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने की बात कही है।

राज्य महिला आयोग की जनसुनवाई बुधवार को जल संसाधन विभाग के प्रार्थना सभाभवन में हुई। इसमें आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक और सदस्य अर्चना उपाध्याय मौजूद रहीं। सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में भाई आवेदक बना है, जिसमें उन्होंने डॉक्टर की लापरवाही से अपनी बहन की मौत का आरोप लगाया है। आमतौर पर महिला आयोग की जनसुनवाई में महिलाओं की शिकायत दर्ज की जाती है। लेकिन, इस केस में आयोग ने भाई की तरफ से शिकायत पर सुनवाई शुरू की है।




जांच में लापरवाही से नहीं हो सका इलाज
शिकायतकर्ता भाई ने बताया कि साल 2020 में उसकी बहन गर्भवती थी। उन्होंने मई माह में अपनी बहन का सोनोग्राफी कराया था, तब रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर ने महिला के गर्भ में दो बच्चे होने की जानकारी दी थी। लेकिन बाद में जुलाई में फिर सोनोग्राफी कराने पर पता चला कि महिला के गर्भ में तीन बच्चे हैं। इस बीच अगस्त में डिलीवरी हुई, तब महिला ने तीन बच्चों को जन्म दिया और इसके तीसरे दिन बाद उसकी मौत हो गई।

भाई का आरोप है कि जांच में लापरवाही के कारण उनकी बहन की मौत हुई और उनका इलाज नहीं हो सका। उन्हें डिलीवरी कराने वाले डॉक्टर ने बताया कि समय से पहले यह पता चल जाता कि महिला के गर्भ में तीन बच्चे हैं, तो सही तरीके से इलाज हो सकता था और उनकी मौत नहीं होती। इस केस की सुनवाई के दौरान रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर ने भी माना कि उन्होंने दो बच्चों का रिपोर्ट दिया था। उन्होंने बताया कि कई बार ओवरलेप होने की वजह से तीसरा बच्चा नहीं दिखता। आयोग ने मामले में दोनों पक्षों को सुना। इस केस की गंभीरता को देखते हुए रायपुर ट्रांसफर किया गया है। साथ ही पूरे मामले में विशेषज्ञ डॉक्टरों से रिपोर्ट और राय लेकर कार्रवाई की जाएगी।





सुनवाई में नहीं पहुंचे डीन तो भड़कीं अध्यक्ष ने दी चेतावनी
आयोग में सिम्स के डीन डॉ. कमल किशोर सहारे के खिलाफ रेडियोलॉजी विभाग एचओडी डा. अर्चना सिंह ने शिकायत की है, जिसमें उन्होंने प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। इस चर्चित केस की सुनवाई में पहले डीन आए नहीं और व्यस्तता का बहाना बनाकर अपने वकील को भेज दिया। उनके इस रवैए को देखकर आयोग की अध्यक्ष भड़क गईं। उन्होंने कहा कि डीन के पास आयोग की सुनवाई के लिए समय नहीं है। अगर, आयोग अपनी सख्ती दिखाएगा तो उनके पद और प्रतिष्ठा दोनों धुमिल हो जाएगी। उनकी इस सख्त तेवर को सुनकर डीन डॉ. सहारे को सुनवाई में उपस्थित होना पड़ा। सुनवाई के दौरान ही महिला आयोग की अध्यक्ष ने सिम्स की एचओडी और डीन से कहा आयोग इन्वेस्टिगेशन के लिए तैयार है। लेकिन, आप दोनों के विवाद से सरकार की संस्था की बदनामी होगी। उन्होंने दोनों पक्षों को दस्तावेज तैयार कर 15 फरवरी को रायपुर तलब किया है। साथ ही इस केस को रायपुर स्थानांतरित कर दिया है।






रेडियोलॉजी विभाग में हावी था गुटबाजी
आयोग की सुनवाई के दौरान एचओडी अर्चना सिंह ने बताया कि रेडियोलॉजी विभाग में गुटबाजी हावी था, जिसे विभाग में आने के बाद खत्म करने की कोशिश की और नई व्यवस्था बनाई। उनकी इस व्यवस्था से स्टाफ के कई लोगों को तकलीफ हुई और उन्होंने मेरे खिलाफ शिकायतें कर दी। डीन डा. सहारे ने दुर्भावना से उन सभी शिकायतों पर नोटिस भी जारी कर दिया, जिसका उन्होंने जवाब भी दिया है।

अध्यक्ष बोलीं- ऐसा लग रहा है हम डॉक्टरों के केस सुनने बैठे हैं
जनसुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत में आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने कहा कि यह हमारे लिए शॉकिंग है कि चार से पांच डाक्टरों पर मामले आए हैं, जिसमें डाक्टरों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें की हैं। इसमें एक मामला दो डाक्टरों आया है, जिसमें आयोग ने दोनों पक्षों पर एफआईआर होने ज्यूडिशयली जांच चलने से सुनवाई से इनकार कर दिया। आयोग ने कहा वह दोनों पक्षों की यह मदद कर सकता है कि जिससे उनके बीच सुलह हो सके। उन्होंने बताया कि बिलासपुर में आयोग की 155वीं जनसुनवाई हो चुकी है।

बुधवार को 30 केस की सुनवाई हुई, जिसमें पांच मामलों को नश्तीबद्ध किया गया है। विपक्षी पार्टी भाजपा के महिलाओं पर अत्याचार बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार को लेकर विपक्ष ने एक भी शिकायत नहीं की है। बल्कि, आयोग ऐसे हर एक केस की गंभीरता से सुनवाई कर रहा है। इसके साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए आयोग कैंपेन भी चला रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को जवाब देने की जरूरत नहीं है।

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