राजिम-कला आत्मा को स्पर्श करती हैं जो जीवन के हर पल में मनपसंद रंग भरने के लिए प्रेरित करती हैं।चाहे कोई भी विधा हो जब लगन लग जाती हैं इसकी तो प्रतिभा किसी भी कोने में पल रही हो मेहनत से एक दिन अपने मुकाम पर पहुंच ही जाती हैं।संघर्ष की भट्टी में तपकर ही हम अपनें अंदर में छुपी प्रतिभा को निखार सकते हैं नाम पद और पैसे तो आते-जाते रहते हैं कला एक ऐसी उपहार हैं जिसे शिद्दत से निभाया जाएं तो यह जीवन जीने का अनमोल खजाना बन जाती हैं जो कभी खत्म नही होती इसे जितना खर्च करो वह बढ़ती ही जाती हैं। अपनी संस्कृति से जुड़ी आचार-व्यवहार संयम मर्यादा ही जीवन की इस बहती धारा को निर्मल पावन बनाती हैं इसलिए हमेशा अपनी माटी से जुड़कर सभ्यता और संस्कार को देश के हर कोने में बिखेरना एक सच्चे कलाकार का परम कर्तव्य होता हैं
राजिम माघी पुन्नी मेला के छठवें दिन छत्तीसगढ़ की प्रसिद्द पंडवानी गायिका रूही साहू भिलाई सेक्टर 7 ने सांस्कृतिक मंच दो में पंडवानी की प्रस्तुति दी जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार और सम्मान मिला। कहते हैं लगन हर मुश्किल को आसान बना देती हैं इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए मंच से सीधे दैनिक अजय उजाला और खबरगंगा संयुक्त अखबार के कार्यालय में आई पंडवानी गायिका रूही साहू से रिपोर्टर सरोज कंसारी का आत्मीय संवाद हुआ। अपने अनुभव सांझा करते हुए उन्होंने बताया पंडवानी गायन 2018 से प्रारंभ किया और कम समय में आज छत्तीसगढ़ के कोने- कोने में प्रस्तुति दे चुकी हैं।इस विधा को अपनाने के पीछे कारण बताए हुए कहा नृत्य गीत सुआ कर्मा दादरिया तो बारह मास हर पर्व विशेष में होते रहते हैं लेकिन पंडवानी में जीवन का सार छुपा हैं जों धर्म की व्याख्या करते हैं। जीवन युद्ध से निकलकर कैसे कर्मक्षेत्र में स्थापित होकर मानव कल्याण की ओर अग्रसर हो इस शैली का हमें ज्ञान होता हैं।
पंडवानी सुनने की रुचि बचपन से थी बड़ी हुई तो मन में गायन की इच्छा जागृत हुई इसके लिए जयतु साहू मठ में नौ दिन का प्रशिक्षण लिया और निरंतर अभ्यास करते हुए आज इस मुकाम पर हूं। मेरे गुरू और मार्गदर्शक चेतन देवांगन मीना साहू जी हैं उनके आशीर्वाद से निरंतर मंच में जाकर इसे जन-जन तक पहुंचाने का सौभाग्य मिल रहा हैं।
किसी भी कार्य की शुरुआत में परेशानी आती हैं जिसका सामना मुझे भी करना पड़ा लेकिन जब मेहनत खामोशी से करते हैं तब सफलता शोर मचाती हैं।एक कलाकार का जीवन चुनौतियों से भरा होता हैं उसका सामना करना चाहीए यही मेरी सोच हैं। छोटे-छोटे गांव में जाकर कथा कहती थी जिसे देखकर बड़े मंच से आमंत्रण मिलता गया तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। छत्तीसगढ़ी भाषा बोली हमारी पहचान हैं इस भाषा में व्याख्या करने में अपनेपन का एहसास होता हैं। राजिम के बारे में चर्चा करते हुए बताया इस सांस्कृतिक मंच पर पहली बार प्रस्तुति देकर मुझे अति प्रसन्नता हुई शासन की व्यवस्था बहुत ही अच्छी हैं जो कलाकारों को मंच प्रदान कर प्रतिभा को निखारने का कार्य बखूबी कर रहे हैं। पंडवानी मेरी हर सांस में हैं आने वाली पीढी भी इसे आगे बढ़ाए पाश्चत्य सभ्यता का अनुकरण न कर अपनी पुरातन परंपरा को आगे बढ़ाए और पूर्वजों की इस धरोहर को सहेजकर रखे। सबसे बडी खुशी की बात हैं मंच क्रमांक दो से प्रस्तुति देने के बाद मुख्य मंच में भी जाने अवसर मिला जो सौभाग्य की बात हैं। मै छत्तीसगढ़ सरकार को दिल से धन्यवाद देना चाहूंगी इस भव्य आयोजन के लिए और यही अपेक्षा हैं हर कलाकार को बराबर सम्मान मिलता रहे। दैनिक अजय उजाला के प्रधान संपादक अजय देवांगन, खबरगंगा की स्थानीय संपादक सुश्री पिंकी साहू सरोज कंसारी ने शील्ड भेंटकर आत्मीय सम्मान किए।