Home शिक्षा शराब की बोतलों और डिस्पोजल के बीच पढ़ने को मजबूर सरकारी स्कूल...

शराब की बोतलों और डिस्पोजल के बीच पढ़ने को मजबूर सरकारी स्कूल के बच्चे….ऐसा लगता है मानों बच्चे स्कूल नहीं मधुशाला में बैठें हो…

141
0

राजिम- स्कूली शिक्षा गुणवत्ता को लेकर के प्रदेश की सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों का हाल कुछ और ही बयां कर रहा है। हम बात कर रहे हैं राजधानी रायपुर से मात्र 45 कि.मी. की दूरी पर स्थित राजिम विधानसभा के धर्म नगरी राजिम की। मामला यहां के पोस्ट ऑफिस के सामने स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल का है। यह स्कूल राजिम में वर्षों से संचालित हो रहा है। इस स्कूल में गंदगी का यह आलम है की स्कूल के चारों ओर का परिसर शराब की बोतलों और डिस्पोजल से अटा पड़ा है। बारिश के कारण चारों ओर पानी से घिर चुका है। शौचालय तक पहुंचने के लिए बच्चों को ईटों और पत्थरों से पगडंडी मार्ग बनाना पड़ा है। जिसमें चलकर उन्हें शौचालय तक जाना और आना पड़ता है हालात यह हैं की अगर धोखे से कोई बच्चा फिसल जाए तो उसको गहरी चोट भी लग सकती है। अगर स्कूल के चारों ओर वातावरण की बात करें तो स्कूल के परिसर में बाउंड्री वाल नहीं है जिसके चलते दिनदहाड़े यहां पर नशाखोरों का अड्डा लगा हुआ रहता है। खुलेआम यहां पर शराब पीने के बाद पेशाब किया जाता है और डिस्पोजल, शराब की शीशियां स्कूल में फेंक दी जाती है। बाजू में चिकन मुर्गे की दुकान है। मुर्गे के निकले हुए अपशिष्ट पदार्थों एवं पंखों को दिन भर जलाया जाता है। जिसका गंदा धुआं पूरे वातावरण को दिन भर दूषित करते रहता है। ऐसे दूषित वातावरण में बच्चे पढ़ने और शिक्षक पढ़ाने को मजबूर हैं। इन तमाम बातों की शिकायत संस्था प्रमुख एवं विद्यालय समिति के अध्यक्ष के द्वारा एसडीएम कार्यालय राजिम, नगर पंचायत राजिम को की गई है जिसके बावजूद प्रशासन के द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विद्यालय का ताला हर दिन जब सुबह खोला जाता है, तो शराब की बोतलों और डिस्पोजलो से अटा पड़ा रहता है। तमाम प्रकार के लिखित शिकायतों के बावजूद अभी तक जिम्मेदार अधिकारी सुस्त पड़े हुए हैं। प्रदेश की सरकार भले ही शिक्षा गुणवत्ता को लेकर तमाम दावे कर रही हो लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। किसी स्कूल का माहौल ऐसा हो तो आखिर वहां से बच्चे कैसे होनहार निकलेंगे। वहां के बच्चों में अच्छी शिक्षा का विकास कैसे होगा। बावजूद इसके यहां के शिक्षक पूरे मन लगाकर बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में लगे हुए हैं। अगर निजी स्कूल के बच्चें परीक्षा में अच्छे अंक लाते हैं तो उसके लिए उन्हें अच्छा वातावरण प्रदान किया जाता है। इन समस्याओं के बावजूद शिक्षा में सुधार की बात सिर्फ हवाबाजी ही नजर आती है। इन्ही समस्याओं के कारण आज छत्तीसगढ़ नीति आयोग द्वारा जारी एजुकेशन इंडेक्स में पूरे देश भर में अंतिम पायदान पर है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here