Home शिक्षा 14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष आलेख…

14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष आलेख…

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*हिंदुस्तान की आवाज हैं हिंदी*
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*ब्रम्हांड के ज्ञान का भंडार हैं हिंदी*
*भटकती रूह की केंद्र बिंदु हैं हिंदी*
*सहज सरल और सार्थक होती हिंदी*
*हिंदुस्तान की आन बान शान हैं* *हिंदी।।*

मन की गहराई में विचारों की बहती अविरल धारा हैं जो समय परिस्थिति के अनुसार अलग अलग रूप में आती रहती हैं इन विचारों को एकत्रित करने से मस्तिष्क उत्तेजित होने लगता हैं जिन्हें समय -समय पर खाली करना पड़ता हैं जिसे व्यक्त करने के लिए माध्यम की जरूरत पड़ती हैं जिसे सहज हम कह रहे है समझ सकें भारतीय संस्कृति में विविधता में भी एकता के दर्शन होते हैं जहाँ अलग-अलग बोली भाषा जाति- मजहब के लोग रहते हुए भी अपनी सभ्यता को अंतस में सहेजे हुए हैं हृदयगत भावों की अभियक्ति भाषा ही होती हैं बिना भाषा के विचारों का सम्प्रेषण संभव नहीं भाषा जोड़ती हैं आत्मा को एक सूत्र में चंचल मन को पिरो लेती हैं एक माला में वही भाषा श्रेष्ठ होती हैं जो आत्मा को स्पर्श करती हैं जिसे हम निःसंकोच व्यक्त कर सकें।
एक ऐसी भाषा जिसमें अपनी मिट्टी की सोंधी सी महक हो बचपन में हम जिस भाषा को सुनकर पले-बढ़े खेले-कूदे हैं बड़े होने पर भी हम उसी भाषा को समझते हैंं जिसमें अपनत्व का भाव होता हैं जिसे कहते है मातृभाषा जिस स्थान पर हम रहते हैं उस स्थान की भाषा बोली हमें सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं जिसमें मिठास होती हैं जो मधुर लगती हैं जिसे हम सुनना और उसी भाषा मे बात करना चाहते हैं ।
सभी लोगों को अपनी भाषा और बोली से स्नेह होता हैं एक स्थान विशेष के लोग अपनी भाषा को अधिक महत्व देते हैं तमिल उड़िया बंगाली मराठी गुजराती कई भाषा हैं जिसे हम सुनते हैं और सोचते हैं पर कह नहीं सकतें सभी अपने क्षेत्र की भाषा बोली में बात कर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
वैसे ही हम हिंद की भूमि में रहते हैं, हिंदी ही हमारे विचारों की जननी हैं।हिंदी हिंदुस्तान की आवाज हैं तो हमें अपनी मातृभाषा हिंदी का सम्मान करना ही चाहिए जिसके प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहिए। हिंदी हमारी अस्तित्व का परिचायक हैं हिंदी में सहज रूप से हम अपनी हर बात व्यक्त कर सकते हैं।
आज पाश्चात्य सभ्यता हम पर हावी हैं हम पूरी तरह उसमें डूबकर देश की आन-बान और शान हिंदुस्तान की पहचान हिंदी की अवहेलना करते हैं अंग्रेजी पहनावा बोलचाल रहन-सहन शैली को अपना रहे हैं और सदियों से चली आ रही परंपरा को धूमिल करते जा रहे हैं।
रोजगार और कैरियर बनाने के चक्कर अंग्रेजी पढ़ना व समझना अनिवार्य समझते हैं पढ़े लिखें अधिकतर अभिभावक बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में ही शिक्षा देना चाहते हैं उनकी सोच हैं समय की मांग हैं- अंग्रेजी जिसमे रोजगार के
के अधिकतर अवसर हैं इस कारण अपनी जमीं को छोडक़र वे विदेशो में पढ़ने जाते हैं विदेशी संस्कृति को अपनाकर उसी में रच-बस जाते हैं लेकिन ध्यान दिया जाये तो हिंदी का विस्तार आज तेजी से हो रहा हैं हिंदी भविष्य उज्ज्वल हैं कही भी पीछे नही हैं हिंदी मीडियम में पढ़ाई कर आज के युवा बड़े बड़े पद में आसीन हुए हैं किसी भी भाषा को सीखना गलत बात नही पर उसका अंधानुकरण करना बिल्कुल गलत हैं अंग्रेजी सीखना अलग बात हैं हर भाषा का ज्ञान रखना चाहिए पर अपनी मातृभाषा से प्रेम और स्नेह गर्व की बात हैं।
अंग्रेजी समय की मांग नही हमारी सोंच की ही उपज हैं हमारी मानसिकता ही वैसी बन गई हैं अपनी भाषा का तिरस्कार हम स्वयं कर रहें और अंग्रेजी का भूत सवार कर आज की पीढ़ी को महान संस्कृति से दूर कर अंग्रेज बनाने के लिए तुले हैं।
हिंदी विशाल सागर हैं जिसमे कई छोटी- बड़ी नदिया आकर समाहित हो जाती हैं। हिंदी सूर्य की तेज प्रकाश हैं जो सर्वत्र व्याप्त हैं जिसकी महत्ता को बताने की जरूरत नहीं हैं।सृजन का श्रेष्ठ माध्यम हैं बड़े-बड़े साहित्य्कार हुए जो हिंदी में सृजन कर भारत के प्राचीन इतिहास का बखान किए।
ऋषि-मुनियों के सुंदर उद्गार आध्यात्म की गंगा हिंदी भाषा ही हैं जिसमे जीवन के सार हैं हिंदी हमारी जननी समान हैं जो एक स्रोत हैं लोगो को अपनी भाषा में बातों को समझाने का हिंदी स्वाभिमान की भाषा हैं
देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी हैं भारतीय संविधान ने 14 सितंबर 1949 हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया। आज हम सोशियल मीडिया के युग में जी रहें हैं जहाँ बड़े बड़े मंच स्थापित हैं और हिंदी में हर कार्य बहुत तेजी से हो रहे हैं ।आर्थिक समाजिक जानकारी हिन्दी में हैं, यह सुव्यवस्थित और संस्कारित भाषा हैं जो राष्ट्रभाषा हैं जिसे हर वर्ग के लोग आसानी से समझ सकतें हैं जो राष्ट्र के प्रति प्रेम का द्योतक हैं हिंदी हृदय की तार को झंकृत करती हैं जो सुमधुर और प्रिय हैं जिसके प्रति हर हिंदुस्तानी को लगाव होना स्वाभाविक हैं हिंदी दिवस पर अधिक संख्या में इसे अपने व्यवहार में लाने व आत्मीयता प्रकट करने के लिए और आने वाली पीढ़ी को इसके महत्व को बताने के लिए विभिन्न प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। निबंध गीत कहानी कविता प्रेरक प्रसंग आदि। भारतीय होने के नाते हम सभी का परम कर्तव्य हैं हिंदी को जाने समझे और दिल से स्वीकार करें ।
सरगम की सुंदर सी साज हैं हिंदी
संस्कृति की परिचायक होती हिंदी
अंतस में शक्ति का संचार हैं हिंदी
मनोवृतियों की प्रचारक होती हिंदी।।
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प्रेषक,
कवयित्री
सरोज कंसारी
नवापारा राजिम
जिला-रायपुर(छ.ग.)

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