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अग्रसेन महाविद्यालय में एफडीपी का हुआ समापन–
समाज-उपयोगी शोध पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत- कुलपति डॉ वर्मा…

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रायपुर. अग्रसेन महाविद्यालय में पांच-दिवसीय फेकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतिम दिन आज प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पं. रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय (रायपुर) के कुलपति डॉ. केसरीलाल वर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए उत्तरोत्तर विकास के लिए हमें समाज उपयोगी शोध कार्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि किसी शोध से जब समाज को नई दिशा मिलती है, तभी वह सार्थक होता है. उन्होंने अग्रसेन महाविद्यालय में वाणिज्य विषय का शोध केंद्र स्थापित होने पर बधाई देते हुए कहा कि यहाँ उपलब्ध श्रेष्ठ अकादमिक परिवेश को देखते हुए महाविद्यालय में शोध की सुविधा दी गई है. कुलपति डॉ वर्मा ने महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ डॉली पाण्डेय द्वारा लिखित पुस्तक- “चन्द्रकान्ता के उपन्यासों में सामाजिक समस्याएँ” का विमोचन भी किया. समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए. कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज के केंद्रीय अध्यक्ष और महाराजाधिराज अग्रसेन शिक्षण समिति के कोषाध्यक्ष अजय दानी भी विशेष रूप से उपस्थित थे.



इस पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के समापन समारोह में पं रविशंकर शुक्ल विवि के कुलपति डॉ केसरीलाल वर्मा ने . इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में करियर बनाने के लिए हर एक प्राध्यापक को रिफ्रेशर कोर्स और फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में अवश्य शामिल होना चाहिए. इससे निरंतर सीखने और खुद को बेहतर बनाने का अवसर मिलता है. उन्होंने इस पांच दिवसीय आयोजन के लिए अग्रसेन महाविद्यालय प्रबंधन की भरपूर सराहना की. उन्होंने कहा कि एक ही शोध अगर श्रेष्ठ हो जाये, तो उसी के आधार पर शोधार्थी और गाइड दोनों को दुनिया भर में सम्मान मिल जाता है. इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रविशंकर विश्वविद्यालय में वाणिज्य संकाय की अधिष्ठाता डॉ मधुलिका अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान समय में बहुत से नए नए बदलाव हो रहे हैं इसलिए इस समय शोधार्थियों को अपने भविष्य को ध्यान में रखकर शोध का विषय चुनना चाहिए

इससे पहले आज के प्रथम तकनीकी सत्र में आमंत्रित विशेषज्ञों ने शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए श्रेष्ठ तथा यूजीसी अनुमोदित जर्नल के विषय में जानकारी दी. साथ ही डाटा एनालिसिस की विभिन्न विधियों के महत्व पर प्रकाश डाला. पहले सत्र में पं. रविशंकर शुक्ल विवि (रायपुर) में सांख्यिकी के प्राध्यापक डॉ. प्रदीप चौरसिया ने डाटा एनालिसिस के लिए सबसे अधिक प्रचलित सोफ्टवेयर एस.पी.एस.एस का उपयोग करते समय किस प्रकार कि सावधानी आवश्यक है. उन्होंने नोर्मेलिटी टेस्ट, स्टैण्डर्ड डेविएशन, लेवल ऑफ़ सिग्निफिकेंस को जांचते समय सटीक आंकड़े प्राप्त करने के लिए सेम्पल के सारिणीकरण (टेबुलेशन) के तरीके को विस्तार से समझाया.

आज के दूसरे सत्र में विप्र महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ दिव्या शर्मा ने शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए अधिकृत और यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त जर्नल के विषय पर अपनी प्रस्तुति दी. उन्होंने बताया कि यूजीसी द्वारा अनुमोदित शोध पत्रिकाओं और जर्नल में ही अपना शोध पत्र प्रकाशित करने से इसकी विश्वसनीयता और भी ज्यादा बढ़ जाती है. उन्होंने शोध प्रस्ताव तैयार करने के साथ ही शोध कार्य के लिए अनुदान देने वाली विभिन्न संस्थाओं की जानकारी देते हुए शोध प्रस्ताव तैयार करने के विभिन्न चरणों के बारे में भी विस्तार से बताया. डॉ दिव्या शर्मा ने कहा एक श्रेष्ठ शोध पत्र हमारे पूरे करियर को बदल सकता है.

इससे पहले स्वागत भाषण में डॉ वी.के. अग्रवाल ने कहा कि महाविद्यालय में वाणिज्य विषय का शोध केंद्र खुल जाने से यहाँ शोध के लिए उपयुक्त वातावरण बनने लगा है. इससे अनेक युवा शोध करने की दिशा में प्रेरित होंगे. होगा. कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त करते हुए प्राचार्य डॉ युलेन्द्र कुमार राजपूत ने कहा कि पांच दिनों सभी सत्रों में हर दिन विशेषज्ञ वक्ताओं ने बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी दी. इससे प्रतिभागियों को निश्चित ही लाभ होगा. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन और ऑफ़ लाइन तरीके से कुल एक सौ एक प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. अंत में एफडीपी कार्यक्रम के उद्देश्य की चर्चा करते हुए महाविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटर प्रो. अमित अग्रवाल ने कहा कि इस अकादमिक कार्यक्रम के सफल आयोजन से महाविद्यालय का दायरा पूरे प्रदेश और देश में फ़ैल चुका है, क्योंकि अनेक प्रतिभागी इसमें ऑनलाइन तरीके से शामिल हुए. उन्होंने जल्द ही शोध-पत्र लेखन एक विस्तृत कार्यशाला के आयोजन की घोषणा भी की. इस पूरे आयोजन का सारांश वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. डॉली पाण्डेय ने प्रस्तुत किया. आज के कार्यक्रम का संचालन डॉ शोभा अग्रवाल ने किया. कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों की सक्रिय भागीदारी रही. कार्यक्रम के अंतिम सत्र में प्रतिभागियों से फीडबैक भी लिया गया.

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